सुना है "वक्त सारे ज़ख़्म भर देता है",
पर ये वक्त , वक्त कितना लेता है
किसी ने नहीं बताया......-
आँख मूंदे सभी जा रहे हैं जिधर।
~ अलंकृत श्रीवास्तव
FROM:- Allah... read more
कभी नैनी के पुल सी शोर करती,
कभी ख़ामोश संगम सा किनारा।
है तुम सी इक ही पगली इस जहाँ में,
हूँ मैं भी इक दिवाना बस तुम्हारा।
1222 1222 122-
फलां ने कहा है फलाने से हैं हम,
की हुलिए से देखो दिवाने से हैं हम।
हैं सुनते नही हम किसी आदमी की,
अलग कुछ कहाँ है? ज़माने से हैं हम।-
चल दिए हार कर हम उसी रास्ते,
आँख मूंदे सभी जा रहे हैं जहाँ।
212 212 212 212-
तुम्हारे ब्लॉक सूची में हैं बस इक नाम मेरा ही,
है मेरे कॉल सूची में भी बस इक नाम तेरा ही।
1222 1222 1222 1222-
जब भी ग़म के बादल छाते हैं,
हम गाना सुन के सो जाते हैं।
22 22 22 22 2
(Behr-e-meer)-
Le shayar fan:-
koī ummīd bar nahīñ aatī
koī sūrat nazar nahīñ aatī
~ Mirza Ghalib-
आँखें :- (ख्याल)
लिखीं हुई हैं ,उसकी नजरों में।
कई नज्में , कई गजलें ,कई बातें।
कभी समंदर , कभी बवंडर ,
कभी दिगंबर , उसकी आँखें।-