Ala Chouhan   (आला चौहान "मुसाफ़िर")
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Joined 1 April 2017


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6 SEP 2024 AT 22:02

ये दुनियां और इसके चालाक लोग 
दिखते बर्फ से और अंदर से आग लोग 

तुम्हें डुबोकर मार देंगे देकर हिदायतें 
दिखते हैं उथले, हैं गहरे तालाब लोग 

जिनको पिला रहे हो तुम आज दूध 
तुमको ही डसेंगे बनके नाग लोग 

पहुंचे हैं चांद तक जाने किसकी तलाश में 
एक दिन कर ही देंगे ज़मीन में सुराख लोग 

आला तुम बने रहना आला के जैसे ही 
दूसरों से बनने गए तो कर ही देगें बर्बाद लोग 


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12 JUL 2024 AT 10:06

दिल में उठता है सवाल कोई
जानता नहीं, मेरा हाल कोई

सब कुछ है लेकीन कुछ भी नहीं
है अजीब सा मलाल कोई

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3 MAY 2024 AT 16:46

    मुसाफ़िर हैं हम घर बार नहीं हैं!
बस इतना जानलो की तुम दिल में रहते हो!!

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12 JUN 2021 AT 13:47

नहीं लिखी जाती कविताएं
अब प्रेम और अनुराग पर
जिंदगियां जल रही है
हर तरफ ही आग पर

हो रहा समय कैसा विकराल है
माथे पे मंडराता सबके ही काल है
जा न पाए आखरी दर्शन को भी
बस और बस दिल ये ही मलाल है

बड़ा विषम है समय
बड़ा विषम ही दौर है
धीरज रखना मुसाफिर
होने ही वाली भोर है।

नहीं लिखी जाती कविताएं...
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9 NOV 2019 AT 21:16

उन्हें लगता है, शहर में संवरने आए हैं लोग
वो जानते नहीं की धुएं में मरने आए हैं लोग

बगल में दानें लिए ये सब ढूंढ रहें हैं रोटी
कोई बताओ यहाँ क्या करने आए हैं लोग

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4 NOV 2019 AT 10:49

कुछ बाहर कुछ अंदर देखें
जाने कितने सिकंदर देखें
जहां जहां भी देखी लड़की
अरे पीछे- पीछे बंदर देखें

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16 OCT 2019 AT 11:55

चंद अमीर लोग गुजरने वाले है मेरे शहर से
चलो इसी बहाने गरीबों की सड़क ठीक हो गई ।

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12 OCT 2019 AT 23:52

हक़ीम बिना नब्ज़ टटोले ही मर गया
बच्चा ही तो था बिना बोले ही मर गया

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1 JAN 2019 AT 8:31

जानता हूँ के मुमकिन नहीं घर बनाना अपना
इतना तो तय है की सबके दिलों में है बसेरा मेरा

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16 AUG 2018 AT 19:16

मैं अटल बिहारी वाजपेयी हूँ..!
(कैप्शन में पढ़ें)

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