ये दुनियां और इसके चालाक लोग
दिखते बर्फ से और अंदर से आग लोग
तुम्हें डुबोकर मार देंगे देकर हिदायतें
दिखते हैं उथले, हैं गहरे तालाब लोग
जिनको पिला रहे हो तुम आज दूध
तुमको ही डसेंगे बनके नाग लोग
पहुंचे हैं चांद तक जाने किसकी तलाश में
एक दिन कर ही देंगे ज़मीन में सुराख लोग
आला तुम बने रहना आला के जैसे ही
दूसरों से बनने गए तो कर ही देगें बर्बाद लोग
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जी हुजूरी का आलम, मुझसे पाला नहीं जाता!
मुसाफिर हूं यारों,... read more
दिल में उठता है सवाल कोई
जानता नहीं, मेरा हाल कोई
सब कुछ है लेकीन कुछ भी नहीं
है अजीब सा मलाल कोई-
मुसाफ़िर हैं हम घर बार नहीं हैं!
बस इतना जानलो की तुम दिल में रहते हो!!-
नहीं लिखी जाती कविताएं
अब प्रेम और अनुराग पर
जिंदगियां जल रही है
हर तरफ ही आग पर
हो रहा समय कैसा विकराल है
माथे पे मंडराता सबके ही काल है
जा न पाए आखरी दर्शन को भी
बस और बस दिल ये ही मलाल है
बड़ा विषम है समय
बड़ा विषम ही दौर है
धीरज रखना मुसाफिर
होने ही वाली भोर है।
नहीं लिखी जाती कविताएं...
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उन्हें लगता है, शहर में संवरने आए हैं लोग
वो जानते नहीं की धुएं में मरने आए हैं लोग
बगल में दानें लिए ये सब ढूंढ रहें हैं रोटी
कोई बताओ यहाँ क्या करने आए हैं लोग-
कुछ बाहर कुछ अंदर देखें
जाने कितने सिकंदर देखें
जहां जहां भी देखी लड़की
अरे पीछे- पीछे बंदर देखें-
चंद अमीर लोग गुजरने वाले है मेरे शहर से
चलो इसी बहाने गरीबों की सड़क ठीक हो गई ।-
जानता हूँ के मुमकिन नहीं घर बनाना अपना
इतना तो तय है की सबके दिलों में है बसेरा मेरा
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