Ala Chouhan   (आला चौहान "मुसाफ़िर")
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Joined 1 April 2017


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12 JUN 2021 AT 13:47

नहीं लिखी जाती कविताएं
अब प्रेम और अनुराग पर
जिंदगियां जल रही है
हर तरफ ही आग पर

हो रहा समय कैसा विकराल है
माथे पे मंडराता सबके ही काल है
जा न पाए आखरी दर्शन को भी
बस और बस दिल ये ही मलाल है

बड़ा विषम है समय
बड़ा विषम ही दौर है
धीरज रखना मुसाफिर
होने ही वाली भोर है।

नहीं लिखी जाती कविताएं...
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22 APR 2021 AT 0:03

क्यों करे रे बन्दे काया से प्रेम अनुराग
सब हवा हो जाएगा जब लगेगी आग

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20 MAR 2021 AT 21:43

मेरे धुले धुलाए कपड़ो पर
गौरया प्रसाद रख देती है
बिन पूछे बिना कहे
एक दाग रख देती है
धोने से जो निकले नहीं
वह सौगात रख देती है
थोड़ा श्याम थोड़ा धवल
जाने क्या राज़ रख देती है
जाने कब कमरे में आकर
सबसे निराला काम कर जाती है
कब तक रखूं ख़याल कपड़ो का
फुर्र फुर्र कर उड़ जाती है
मेरे धुले धुलाए कपड़ो पर
गौरया प्रसाद रख देती है

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28 FEB 2021 AT 10:24

आओ लौट चले वहीं........

जहाँ कुछ अधूरे किस्से छुटे थे
आंगन में गोबर था, गायो के कुछ खुटे थे

जहाँ पतली पगडंडी थी
हैंडपंप की थी टन टन और माटी की एक हंडी थी

घर की दीवारें कच्ची थी और उपर खपरेल थे
लोरी सुनाती थी दादी, प्यारे चित-कबरे बैल थे

चुले से था उठता धुंआ, मक्के की रोटी पकती थी
उड़द गोंद के लड्डू बनते, नानी छुपा कर रखती थी

पानी जाती थी पनिहारिन, प्यारा एक पनघट था
यादों के झूले बंधे थे जिसपे, बड़ा सा एक वट था

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3 DEC 2020 AT 8:06

सबको फ़िक्र है अपनी दुकान की
कौन बात करेगा रे किसान की?

कुछ शहीद हो रहे हैं सरहद पर
कुछ खेतो में बाजी लगा रहे जान की

कौन बात करेगा रे किसान की????......

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28 NOV 2020 AT 7:39

मेरे देश की आन-बान-शान को
मत लट्ठ मारों रे किसान को

वो भी पढ़ा-लिखा और है उन्नत
अब नहीं कुचल पाओगे जबान को

देख के सियासत तमाशा तुम्हारा
आज तो आँसू आ गए हैं भगवान को

जिससे डरती है धुप ठंड और बारिश
बोलो कौन रोक पाया है तूफान को

'आला' अब तो दिल्ली दूर नहीं है
बड़ते पाँव खा गए हैं सारी थकान को

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10 SEP 2020 AT 23:42

जीने के लिए पैदा हुआ है
तु मरने की बात ना कर..

मुश्किलें दबा ले अपनी मुट्ठी में
तु डरने की बात ना कर..

उड़ जा पंख फैला के आसमां में
तु पंख कतरने की बात ना कर..

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31 JUL 2020 AT 12:47

हौसला रख, मंजिल आयेगी मकाम भी आयेगा
कामयाबी की फेहरिस्त में तेरा नाम भी आयेगा

अभी तो मेहनत करने के ही दिन है सुन प्यारे
कर ले मेहनत बाद में तुझे आराम भी आयेगा

बना लक्ष्य, न करो फिक्र तुम हँसने वालों की
इन्ही हँसने वालों से, तुम्हें सलाम भी आयेगा

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15 JUL 2020 AT 7:14

बिना कुछ किए काम नहीं मिलता
सोये-सोये कभी मकाम नहीं मिलता

बड़ी जिद्दी हो गई है जिंदगी मेरी
बिना कुछ किए आराम नहीं मिलता

गला बैठाना पड़ता है बोल बोल कर
बिना बोले तो खुद का दाम नहीं मिलता

रटना पड़ती है एक ही नाम की माला
बिना रटे तो हमें कभी राम नहीं मिलता

नाम कमाना पड़ता है नाम के बिना
आला यूँ ही तो सबको नाम नहीं मिलता

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9 NOV 2019 AT 21:16

उन्हें लगता है, शहर में संवरने आए हैं लोग
वो जानते नहीं की धुएं में मरने आए हैं लोग

बगल में दानें लिए ये सब ढूंढ रहें हैं रोटी
कोई बताओ यहाँ क्या करने आए हैं लोग

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