अक्षय अवस्थी   (Akshay Awasthi ( बाबा ))
52 Followers · 21 Following

मैं एक छोटा सा दिया हूँ , शायरों की महफ़िल का
शुकर उस आग का करिये , जो हमें जलाए रखती है
Joined 20 May 2019


मैं एक छोटा सा दिया हूँ , शायरों की महफ़िल का
शुकर उस आग का करिये , जो हमें जलाए रखती है
Joined 20 May 2019

ख्वाहिशों का क़त्ल अक्सर जिम्मेदारियों ने ही किया है

-



बस यही है वो जो तुम्हे समझ नही आता
तेरा ही ये तरीका तुम्हे मुझमें नही भाता

तुम कहती हो मैं हूँ intention कि भूखी
मेरे एक good morning का जवाब नही आता

मेरा busy होना तो बस दिखावा ही है
तुम्हारी हैं situation मुझे समझ नही आता

तुम्हारे status तो दुनिया के लिए हैं
मैं क्यों share कर रहा मेरा किससे है नाता

तुम्हारा ignore करना तो मजबूरी है
मैं ऐसा करूँ तो मुझे अब प्यार नही आता

बस यही है वो जो तुम्हे समझ नही आता
तेरा ही ये तरीका तुम्हे मुझमें नही भाता

-



मुस्कुराने को नए नए वजह तलाशता रहा
रोने को तो वही एक किस्सा काफी है ।

-



मेरी उम्मीद से पहले ही छोड़ गया वो मुझको
सपने मुस्कुरा कर बोलें हम टूटने से बच गए

-



ना जाने फिर कब लॉकडाउन लगेगा
सब फिर से दूर रहने लगे हैं

-



पतंग कटती है या काटती है
दोनों में वो खुश होती है क्योंकि
कोई उनमें से एक बंधन से आज़ाद होता है

-



अपनी कल्पनाओं को भी यथार्थ महसूस करना प्रेम है

-



वो आये थे मुस्कुराने की तमन्ना लेकर
बस कुछ पल ही बीता और रो दिए
जिंदगी भर का साथ निभाने का वादा लेकर
बस चंद नाराजगी से ही हमको खो दिए

-



दिल में भरा है पर मुख से कुछ ना कहतें हैं।
कुछ लोग बस उम्र के ही बस में रहतें हैं ।।

समेट लेतें हैं ख्वाब, इश्क़ और तमन्ना को।
मुस्कुरातें हैं देख कर किसी के बचपना को।।
जोर की बारिश में वो भीगना चाहतें हैं ।
हवा को बाहों में भरकर तैरना चाहतें हैं ।।
तड़प उन्हें भी है कोई नाम से पुकारे मुझको।
कभी वो डाँट ले कभी प्यार से मनाए मुझको।।
बच्चों के खेल में उनका भी एक हिस्सा हो ।
मेरा जो आज है उनका भी एक किस्सा हो।।
कोई समझे इन्हें कोई उम्र ना होती है सपनो की।
इन्हें भी साथ लेलो इनको जरूरत है अपनो की ।।
कुछ जीवन आंखों से एकांत में ही बहतें हैं।
कुछ लोग बस उम्र के ही बस में रहतें हैं ।।

दिल में भरा है पर मुख से कुछ ना कहतें हैं।
कुछ लोग बस उम्र के ही बस में रहतें हैं।।

-



अभी तुम बहुत अंजान हो हम से
समझने का प्रयत्न त्याग दो मन से

एक जैसा नही रहता हूँ रोज़ मैं
खुद मैं खोया हूँ खुद की ही खोज में

न तलाशो मुझे किसी और रूप में
मैं दिख जाऊंगा अन्तर्मन की धूप में

क्यों चरागों के पीछे चले जा रहे हो
अपनी अंदर की ज्वाला से जले जा रहे हो

दिल मे बैठे तमस को मिटा तो सही
मन से मैले परत को हटा तो सही

फल स्वयं साख़ लेकर चले आएंगे
बांह खोलो सही हम चले आएंगे

इक नज़र में परख न मुझे पाओगे
मैं था जैसा वही हूँ वही पाओगे

-


Fetching अक्षय अवस्थी Quotes