"पहले पढ़ते सुनते थे
अब जान गए हैं हम
हर अपनापन दिखाने वाला
अपना नही होता
ये मान गए हैं हम
सयाने नही हुए हैं
उम्र में बढ़े हो गए हैं हम
जवाब भले नही देते
पर चालाकियां लोगों की
अब समझ गए हैं हम"— % &-
"पल पल बदल रहे हैं लोग
पता नही चल रहा
संबंध निभा रहे हैं
या राजनीति चला रहे हैं"— % &-
"गम में याद रखते हैं
खुशी में भूल जाते हैं
कुछ लोग आजकल
ऐसा किरदार निभाते हैं"— % &-
"तमन्नाएं तो बहुत हैं
बस उम्र साथ दे दे
मंज़िल की बात न करो
बस राहें साथ दे दें
ख्वाहिशों के मेले लगे हैं
बस लकीरें साथ दे दें"— % &-
"शक्ल अक्ल से
कब फर्क पड़ता है
एहसास जब मज़बूत हो
किसी और बात का
कब फर्क पड़ता है
बेहद खूबसूरत आँखे भी रोती है
सूरत अगर आम भी हो
तो क्या फर्क पड़ता है"— % &-
"मनुष्य का किसी से
भावात्मक जुड़ाव मनुष्यता है
और किसी को आहत करना
मनुष्य की व्यवहारिकता है"-
"भीड़ बहुत है
दुनिया के गलियारे में
वक़्त कब लगता है
चेहरा गुम हो जाने में "-
"जीवन की लय में बहिये
जीवन उपरांत कुछ नही है
आनन्द का अनुभव जीवित रहकर है
मरणोपरांत तो मात्र परोसा ही निकलता है"-
"हमने क्या अच्छा किया और क्या बुरा किया
इस बात का अहसास
तब ज्यादा अच्छे से होता है
जब वो हमारे साथ घटित हो रहा हो"-