मैं मोहब्बत में कैद हूँ!
दरवाज़ा खुला होने पर भी फरार नहीं होती..-
बस उन्हीं लिखते हैं !
वजह क्या होगी..
राहत जरा सी,आदत जरा सी..!!🙂
Love to Write ✍🏻❤
मैं मोहब्बत में कैद हूँ!
दरवाज़ा खुला होने पर भी फरार नहीं होती..-
ऐसा क्या लिखूँ कि छू लूं मन तुम्हारा,
क्या लिखूँ कि हमारी बात हो जाये..-
नए कपड़े बदल कर जाऊँ कहाँ,
और बाल संवारु किसके लिए?
वो शख्स तो शहर ही छोड़ गया
मैं बाहर जाऊँ तो किसके लिए.!-
मेरी मेहंदी का रंग जरा गहरा चढ़ाना खुदा!
मुझे आदत है गलतफहमियों में रहने की..-
तलब- एक ढलती शाम, तुम्हारे साथ..
ख्वाहिश- और कोई ना हो दरमियां...-
अगर जो तुम जान जाओ तकलीफ़ मेरी,
तो तुम्हें मेरी हंसी पर भी तरस आयेगा...🥀-
कोई एक यह भी अफवाह तो उड़े तुम्हारे नाम से जानाँ !
कोई आ कर ये कहे कि, तुम्हें मोहब्बत है मुझसे..!!-