Na kr numaish hasrato ki zindagi k
is bazaar me,
Rangeen kaagaz k bhaav yahan khwaab
khareede jaate h.
Mat aazma fitrat insaano ki ae kafir...
Yahan naam puch imaan tere k daam
lgaaye jaate h.
-
How far can you go without saying goodbye?
ना भाग लिया इस खेल में,
फिर भी यूं दौड़ रहा हूं.
चंद कागज़ के टुकड़ों में
तुझे यूं तोल रहा हूं,
करके राख तुझे यूं राख में
खुदको मोल रहा हूं,
ए ज़िन्दगी! यूं दौड़ में तेरी मैं खुदको
पीछे छोड़ रहा हूं.-
दो पहर दोपहर से ले कर उधार
क्यों न रात के मैं नाम कर दूँ?
नीलाम अपने जज़्बात कर
ये लफ्ज़ बेबुनियाद कर दूँ
यादों के इस मकबरे में
दफ़्न अधूरे ख़्वाब कर दूँ
क्यों न दो पहर ले कर उधार
शब-ए-हश्र के मैं नाम कर दूँ?-
Once I am done,
I am gonna write
about this.
For now,
I sharpen
my pencil.-
Bleeding ink on
tattered pages,
I whiff your incense
from burning roses.
*I find you*
-
ज़िम्मेदारी का बस्ता पहन,
चिंता का घूंट लिए धूप में निकला है।
बाप है साहब,
चंद कागज़ बटोरने निकला है।-
कि वोह जो हँसे, तो उनकी मुस्कुराहट पर हमारा
अब हक़ नही होता।
मुसलसल बह रहे इन अश्क़ो को देख ज़माने का उनपर
अब शक़ नही होता।।
-
Had I kept hold
of the cactus
Would my garden
be blooming with
flowers?
-can we stay just friends?
-
शब्दों के भाव यहाँ ख़्वाब बिकते हैं,
बेबसी पर ख़ुद की, हम किताब लिखते हैं।-