"बचपन"
बचपन था या कुछ याराना,
मुझे गोद में उठाते सब खिल जाते थे।
न समझ थी उस बात की,
पर ढेरों प्यार,दुलार मुझे मिल जाते थे।
अजीब था वो समय,
न ही कुछ था ,और नहीं कुछ जरूरी था।
इस छोटी सी दुनिया में ,
न ही कुछ मजबूरी था।
गोद में उठाए सब आपने घर ले आते थे,
न खाने की सौख थी कुछ चीज का,
पर फिर भी कुछ टॉफियां मुझे दे जाते थे।
बदमाशियां चाहे कितने भी कर लो,
प्यार तो मिलता था दो चार डाट खाने के बाद।
हम रोते भी ऎसे थे कि आंख से आशु भी न निकलता,
पर चुप कराने कोई न कोई आ जाता था एक बार।
समझते थे लोग मुझे बहुत
पर कुछ समझ न पत्ते थे,
न जरूरत था उस चीज का,
पर कहीं भी जाओ तो कुछ पैसा मिल जाते थे।।
- अक्षय वर्मा-
मैं जल्द ही वो दिन लाऊंगा।
जब मैं आपने कंधों पे सारा बोझ लेकर,
आपने माता पिता को वो हर खुशियां दे जाऊंगा ।
जो उन्हें मेरा खुशियों को पूरा करने में न मिल पाया ।-
दर्द भले खामोश था,
पर चोट मुझे गहरी मिली थी।
मैं सोचा उसे सबक सीखाऊ ,
पर क्या करता ,,
सबक मुझे भी अच्छी मिली थी।।-
जिस दिन t.v या अखबार में छापे जाए गे ये समाचार,
की इस साल देश में नहीं हुआ एक भी बलात्कार,
तब उसी दिन मानये गे हम आजादी का त्योहार।।-
"हमारा गाँव है"
छोटा सा,
प्यारा सा,
हमारा गाँव है।
तेज गर्मी, बरसातो में,
जहां पेड़ो का रहत छाँव है,
प्यारा ,प्यारा , प्यारा सा ,
हमारा गाँव है।
शाम सबेरे रात दिन,
पंछियों का रहता काँव काँव है।
कुछ और नहीं ,
हमारा गांव है।
सुबह - सुबह आशीर्वाद के लिए ,
जहां छूते माता - पिता का पाँव है,
कोई शहर नहीं बस छोटा सा,
हमारा गाँव है।।
- अक्षय वर्मा-
तो अर्ज किए है
गौर फरमाइए गा..........
की मै मौन नहीं कुछ बोलू क्या,
नज़रे मिलाओगे आँख खोलू क्या।
आपनी तरक्की पे ज्यादा खुश मत हो ये दोस्त
तुम्हारी तरक्की होने का राज सब के सामने मै खोलु क्या?
- अक्षय वर्मा-
जिंदगी में मै अभी उतना बड़ा नहीं,पर इतना जरूर बता सकता हूं, की जीवन में दो प्रकार के दोस्त मिले गे।
एक वो होंगे जो आपके हर बुराई से बुराई बातो पर भी हाँ में हाँ मिलाते चले जाए गए,और दूसरा वे होंगे जो आपके छोटी से छोटी गलतियां को भी गिनाते चले जाए गे।।
अब ये आपको खुद समझ कर चुनना होगा की हमे किसके साथ ज्यादा रहना है।।
- अक्षय वर्मा-
तुम पूछते हो,मैं कौन हूं।
क्या तुम मुझे नहीं जानते?
खत लिखते थे मेरे नाम के,
क्या तुम मुझे नहीं जानते?
तुम और तुम्हारे दोस्त सारे रास्ते घूम आई मेरी,
क्या तुम्हारे दोस्त भी नहीं मानते?
फोन पे तुम घंटो बात करती थी मुझसे,
क्या तुम मुझे नहीं जानते?-
इक्श मोहबत सब बेकार है,
इसमें आपकों कुछ हो या ना हो ।
पर याद रखिए आपका कीमती
समय बरवाद हो जाए गा और आप
जो जीवन में करने को सोचे है वो नहीं कर पायेगे।।
-akshay वर्मा-
कामयाब होने के लिए लक्ष्य
आपको ही दुढना होगा,
और लक्ष्य हासिल करने के
लिए आपको खुद मेहनत
कर के पहुंचना होगा ।
क्यूकी ये कोई
खेल नहीं की कुछ
साथी आपका साथ देंगे और
आप मैच जीत जाएंगे ।।
- अक्षय वर्मा-