तू बस चल अपनी राह पर,
मंज़िल को ध्यान कर,
तेरी ज़िन्दगी में भी,
हसीन एक मोड़ आएगा।
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खामोश रहकर भी सब बयाँ कर जाती हैं।
अंजान ये निगाहें बस गुनाह कर जाती हैं।
लाख छुपा लों राज़ दिल के कोने में।
नम होकर ये सब फ़ना कर जाती हैं।
कौन अपना है कौन पराया ।
परखने में अक्सर ख़ता कर जाती हैं।
चुराते हैं हरदम इन्हें हम उनसे ,
कमबख़्त ये मिलकर दगा कर जाती हैं।-
बोली में जिन की
मीठा रस टपकता है,
अक्सर वो लोग
नक़ली होते है ।
जो होते है सच्चे
जिनका ईमान होता है ,
उनके बोल बहुत ही
कड़वे होते हैं !-
इल्म अपने गुनाहों का हर पहर रखता हूँ,
मैं अपने ख्वाबों का एक शहर रखता हूँ।-
रात राही पूछ रहा था ,
राह मयखाने की ।
भटकता रहा, न समझ सका ,
चालबाज़ी जमाने की ।
दर दर वो खोज रहा था ,
गुंजाइश कुछ पाने की ।
थी चाह उसकी आँखो में,
कोई अजूबा हो जाने की ।
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ज़िन्दगी के हर exam में first क्लास पास हो जाते हम,
साला मोहब्बत का पेपर बहुत टफ आ गया।-
ख्यालों में बेख्याल सा हूँ,
कुछ अस्त व्यस्त बेहाल सा हूँ।
जवाबों में एक सवाल सा हूँ,
बेतुके शायर की मिसाल सा हूँ।
मुर्गी बराबर दाल सा हूँ,
है सब कुछ पर कंगाल सा हूँ।
मच रहे किसी बवाल सा हूँ,
बहु की ससुराल सा हूँ।
सुर्ख चटक रंग लाल सा हूँ,
तेज मिर्च की झाल सा हूँ।
मिस्ड हुए एक काल सा हूँ,
किसी twitter के ट्रॉल सा हूँ।
पुरानी एक चॉल सा हूँ,
भीगे एक रूमाल सा हूँ।
लेकिन अंधेरे में मशाल सा हूँ,
हूँ आम पर कमाल सा हूँ।-