Akshay Ojha   (shayar_ae_aks)
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Joined 12 December 2020


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Joined 12 December 2020
3 APR AT 8:18

तुमसे मिले.. बातें करें… आखों में डूब जाए,
तुमसे मुलाक़ात करे, तुम्हारी आखें चूमें, ख़्वाबो में खो_जाये

ये रात मुश्किल हे काटना अब इस मैखाने में,
तेरी आखों का शराबी यह, अब क्या करे कहा जाये ।।

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18 JUN 2023 AT 11:35

तुमसे मिलते हे धड़कन बढ़ने लगती है,
सासें चलती, मचलती, सासें थमने सी लगती है,
मुश्किल हे ईश्क़ तो आसान हे निभापना कहाँ,
ये मरना ग़र आसा है तो जी जाना कहाँ॥

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23 APR 2023 AT 8:14

दर्ज़ी अब सलवारों में जेब लगाने लगे हे,
स्त्रियों को यह तक आने में ज़माने लगे है,
अकड़ थी मर्दों में अपने पैरो पर खड़े होने की,
कुछ महिलाओं में अब ये इशारे नज़र आने लगे हे,
कापती थी जनाना जिस आवाज़ और इशारे से,
कापती थी स्त्रिया जिस आवाज़ और इशारे से,
आज कुछ मर्दों के पैर भी वैसे कप-कपाने लगे हे ॥

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20 APR 2023 AT 22:52

हमारे भी कुछ ताल्लुक़ात हे इस ज़ुबा से ,
हमारे भी कई मसले हल किए हे इसने,
ना जाने कितने दिल बना के बिगाड़ दिए,
ना जाने कितने आज के कल किए हे इसने ॥

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19 APR 2023 AT 6:47

ना इंतज़ार हुआ हमारा ना परवाह की गई,
करने को बात महज़ लम्हों की मोहलत दी गई,

ना सुकून है ना करार हे अब दिल को,
हमारे दिल में धड़कनों की जगह तेरी पायल लिखी गई ॥

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5 APR 2023 AT 9:08

ज़िंदगी हुई बेज़ार तोह क्या!
एक तेरा ख़्वाब तो अबतक साथ है,
आता है कोई भी सब छोड़ जाते हे एक हिम्मत के बाद,
में इतनी बस हिम्मत कर पाता हूँ तेरे एक ख़्वाब के साथ ॥

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5 APR 2023 AT 9:01

ग़मों को गले लगा हसता हुआ दिखाई पड़ता हूँ
महफ़िल हो शोर-शराबों की में खामोशी सा सुनाई पड़ता हूँ
में मिलता नहीं यक्सर ढूँढने से इस शहर-ए-ख़ाक में ,
अब शमशानों में मैं किसी राख से सना मिलता हूँ ॥

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30 MAR 2023 AT 21:01

मौसम भीग जाते हे नर्म आखों को देख़ के,
सदिया गुज़र जाया करती हे दो पलों के बीच ॥

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25 MAR 2023 AT 8:09

कही दौड़ती कही थमी सी हे ज़िंदगी,
तेरे बिना जैसे एक कमी सी हे ज़िंदगी

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19 MAR 2023 AT 14:03

रुकना मुनाफ़ा हे दर पर उसके,
सुना ही भीतर बेहद प्यार भरा है ॥

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