"ती"
धावपळ आयुष्याची, पडझड ती प्रयत्नांची,
पण ती थकत नाही कधी, जोड आहे तिला स्वप्नांची,
वेळेचं भान तिला, कसली ती घड्याळ आहे,
गजर तिला काय उठवेल हो,
तिचं ध्येयचं जेव्हा खट्याळ आहे ||
पाठलाग करताना सप्नांचा, तुडवते काटेरी वाट ती,
जगापासून तुटते, स्वतः ला विसरते,
पण सोडत नाही, तिच्या ध्येयाची साथ ती ||
तिला नवदुर्गेची उपमा देतात,
तिला सृष्टीची जननी म्हणतात,
पण स्वतः साठी उभी राहते तेव्हा,
वादळामधली दामिनी म्हणतात||
तिला समजणे मला अवघड वाटते,
जी अविरत झटते सगळ्यांसाठी,
स्वतः चे ही भान विसरते,
दोन - क्षण बसते स्वतः सोबत,
आणि शरीरातला त्रान विसरते ||
हो! मला आता समजायला लागलंय,
जरी तिच्या खांदयावर जगभराचा भार आहे,
पण तिची आत्मशक्ती अपरंपार आहे,
कारण,
तिच्या कर्तुत्वाला खरी धार आहे ||-
आसमां
यह नीले समंदर सा आसमां,
वहा कौन है ऐसे खामोश सा,
ये ज़मीं नही क्या तेरी,
उड़ता रहता है आजाद सा ।।
ये परिंदे, आसमां है तेरा घर,
उसे अपनी वसीयत समझ कर,
तू अपनी राह पर तो निकल,
देखना हर जुबां पे होगा फिर तेरा ज़िक्र ।।
अभी गिरेगा या कभी गिरेगा,
गिरना है सबको, सभी गिरेगा,
मंजिल की राह, तूझ पर कर्ज है,
गिर कर उठना, तेरा फर्ज है ।।
बिका क्या है, बचा क्या है,
अगर तू सच्चा, इससे अच्छा क्या है,
कौन हसा है, कौन बसा है,
ये किस चक्रव्यूह में तू फसा है ।।
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तुझे खुद से यारी रखनी है
समय समय पे हंसना है,
और समय समय पे रोना है,
कभी खुद को खोना है,
तो कभी खुद को पाना है,
जीवन का मंजर ही कुछ ऐसा,
की बस चलते जाना है।
राहों की तलाश जारी रखनी है,
खुशी की पलाश सारी रखनी है,
औरों से तो होती ही रहेगी दोस्त,
पहले खुद से यारी रखनी है।
फिर क्या,
खुशियां भी लौट आती हैं,
बहारें गुनगुनाती हैं,
उन टिमटिमाते तारों सी,
जब तेरी हसी खिलखिलाती है ।।-
पा लेने की बैचेनी,
और खो देने का डर,
बस इतना सा है,
जिन्दगी का सफर ।।-
जिन्दगी है झंड
IP कर रहे है हम,
Lab मे है इतनी ठंड,
अरे क्या बताये यारो,
PhD वालो की तो,
जिन्दगी ही है झंड,
एक तरफ Guide बैठा है,
लेकर research का दम,
इसलिए सहमे हुए हैं हम,
अरे जिन्दगी में और भी,
tension थे क्या कम,
सच में यार जिन्दगी है झंड,
पर हमे नहीं है कोई घमंड।।-
किस भाग दौड़ में लगे हो,
किस जद्दोजहत में यू जगे हो,
कल की लगी है चिन्ता,
अरे काज से कोई नही धिन्ता,
यार कही दर्द, तो कही खुशी,
बिना इनके तो दिन जैसे खुदखुशी,
हां सोच में लग गई है जंग,
मन भी नही रहा अब मलंग,
नही रहना अपने भूतकाल में,
मुझे मेरे वर्तमान से मिला दो,
दिमाग में चल रही है खलबली,
कोई थोड़ा मां की गोद में सुला दो,
खो गया हूं मैं यही कही,
मुझे मुझसे मिला दो,
यारो...
कोई तो एक कप चाय पिला दो।
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रास्ते.... जहां से गुजरने को
दिल तरसता है, यूं ही अपने
में ही बरसता है..-
वाटसरू
सुंदर हे जग, सुंदर ही सृष्टी,
तुम्ही दिली दृष्टी, या बालकासी,
तुम्ही माझे देव, तुम्ही माझे गुरू,
दावलेल्या वाटेचा, मी वाटसरू !!
कधी उन पाऊस वारा, सुंदर मोराचा तो पिसारा,
तुझ विन आई बाबा, जगात अंधार सारा,
झुळझुळ वाहती झरे, उडती आकाशी पाखरे,
मुखी साखरेचा खडा, तर कधी दगडांची ठोकरे,
फुले उंच वेलीवरती, समुद्राची ओहोटी भरती,
कोकिळा गुंजन करती, ते ऐकुनिया मन भरून येती,
सकाळचा सूर्योदय, जगण्याची उमेद देतो,
अखंड या विश्वाला, प्रकाशात घेऊन येतो,
रात्रीचे चांदणे, गीत अंगाईचे गाई,
तुझं विन आईबाबा, जीवनाला प्रकाश नाही!!-