सब कहते हैं बदल गए हो, समझदार हो गए हो,
साइकिल से कार वाले हो गए हो तुम,
कपड़े महंगे पहने लिए, ज़ुबाँ साफ़ कर ली तो क्या,
असल में तो यारों के यार तो आज भी हैं हम II-
एक जाबांज : एक फौजी
अब तक ना जाने कहां था,
आज फिर एक शख़्स याद आ गया;
सैलाब के किनारे बैठा रहता था,
चुपके से आज अचानक उसका पैगाम आ गया ।
जिगरा पहाड़, हसीं जवां चेहरा,
शिद्दत से मुस्कुराया तो जरूर होगा;
मगर उस शरीर के घावों के दीदार से,
उसकी हंसी देख, एक बार दुश्मन का दिल घबराया तो ज़रूर होगा l
माँ का लाडला, पिता का ख़ाब था वो,
रूख बनकर इश्क-ए-हवा, महफ़िल को रोता छोड़ गया;
हिंद की बात करता था वो,
हम तो खड़े थे जंग के बीच, सरहद पर; महफ़ूज़ किले में छोड़ गया;
बेफिक्रे से होकर फिरते थे, सुरूर में,
बेगैरत, जाता हुआ भी सर से पाँव तक कर्ज में छोड़ गया ।।
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There are only two people in your life. They are parents, who'll be with you where everyone will leave you alone. Always know that you are their dream. Till death.
Love them unconditionally, till then..!!
They deserve it.
Not a Saint, Not a Devotee.
Only a Father's Son and Mum's Life.-
I'm a curious little winding river,
Sometimes a sparkling stream of love;
A crazy little whack,
Sometimes the dew drops shining in the morning sun;
I'm the thunder of fiery nights,
Sometimes the relieving rain for your pains;
A blood thirsty war,
Sometimes peace of a caliphate;
Call me dear, whenever you want,
I'm inside you, here waiting;
As I am no fickle human being like you,
I am the humanity;
Thou shall live and die, again and again,
And I, I shall remain ever and FOREVER..!!
!!..Beloved ones..!!-
कभी हम भी इस तहज़ीब से बाहर थे,
मैं के गुरुर में मसरूफ थे;
अब जाके होश आया है,
मगर शाम करीब है, घर को जाना है;
आशियाना भी पास नहीं,
न ही कोई ठहरने का बहाना है।
दिलबर से दिल लगाते रहे बेइंतहा,
उनकी बातों में मशगूल थे;
खुद से कभी इश्क किया होता,
तो जिंदगी के थोड़े और करीब होते;
अब यूं मायूस छोड़ कर न जाओ, महजबीं,
ठहरो ज़रा, बैठो इधर, कुछ जिंदगी हममें अभी भी बाकी है।
कुछ तो तहज़ीब से पेश आओ,
इसी तरह, हर बार जुब़ां को समझाता हूं;
पर इस बेशर्म का तो,
बदतमीजी ही एक इकलौता ठिकाना है।।-
एक यार सै,
अर भाई, जमा बिघनी ए सै;
कति डटता ए नहीं,
पर लाखां मै एक, छोरा जमा न्यारा सै।
यार सै मेरा, किरदार सै मेरा,
कती ए जिगर का छल्ला सै;
हांसे जा सै बेशर्म हर टेम,
पर जमा दिल का धोला सै।
सारे हाण मेरे त लड़े जा सै,
मेरी बेज्जती भी बहोत ए करे सै;
फेर एक बात तो मनणी पड़ैगी,
मेरे तै दिल तै प्यार करै सै।
हर एक बै फेर तै जन्मदिन मुबारक, मेरे शेर,
नू ना कहता के लाम्बी उम्र हो तेरी;
जितनी जिवै, नूए हांसता रहिए,
हर बस, हामने तेरा यार बणाए राखिए।।
(दिपक गोयत)-
दोस्त बहुत सारे हैं।
दिल के अज़ीज़, दिल के टुकड़े, आसमां के तारे हैं,
बदतमीज, बेशर्म, निकम्मे, बेशक सारे के सारे हैं;
अब खुद की तारीफ क्या ही करें,
फिर वो यार भी तो हमारे हैं।।-
The whistling of lonely winds,
Rustling of the dry leaves;
And distance between us,
Is what keeps me grinding to the Earth..!!-
हाथों में छाले हैं,
उम्मीदें बिखरी पड़ी हैं पैरों में ;
झुक नहीं सकता है वो,
जिम्मेदारियों का बोझ लिए खड़ा है कंधों पर।
हिम्मत जवाब दे रही है अब,
मगर कुछ और दूर जाना है उस बेरहम को;
कभी सूरज को देखा है सबसे ऊपर,
समय से पहले ढ़लते भी देखा है मैंने।
हो सके तो मिलना तुम भी उस ज़ालिम से,
स्कूल में तो नहीं, फैक्ट्री में मिलेगा वो;
एक पैगाम दे देना मेरा,कहना माफी देदे मुझे,
मैं इसके काबिल तो नहीं।
हां मानता हूं, बड़ा बेशर्म हूं मैं,
उसको उम्र से ज्यादा समझदार होते देखा है मैंने;
तुम्हारे फ़ेंके हुए टुकड़े उठाता है,
उस होटल में खाता नहीं, कमाता है वो।
उसे कहना दिखाए एक बार हंस कर,
तारों की महफ़िल फिकी न पड़ जाए तो कह देना मुझे;
फिर तुम जल न जाना उसकी मासूम मुस्कराहट से,
मैं तो राख हो गया था पहली नज़र में।।-
इस महफ़िल से बहुत शिकायते हैं,
छोड़ कर जाएं तो जाएं कहां;
गैरों से तो क्या ही लेना है हमें,
मगर कैसे कहूं के हमारे अपने भी बैठे हैं उसी जगह।
हालात कुछ ऐसे हैं, चुप रहना ही बेहतर है,
शोर मचा कर, सबको थोड़े ही बताना है;
हम तो हया के मारे बेजुबां बने हुए हैं,
अपनी क़ब्र खुद अपने हाथों खोदें बैठे हैं।
एक किनारे से दिखाई देते हैं वो, इस भंवर में,
कि कभी तो भी उठ-बैठेगें;
चोंक कर हाल-चाल पूछेंगे,
इसी उम्मीद में हम अभी तक जिंदा बैठे हैं।
वक़्त का तकाज़ा है, कहीं देर न हो जाए,
दहलीज पर खड़े हैं ताक में;
मगर एक वो हैं,
भूलकर भी हमारी गली मुड़ते ही नहीं ।।-