Akshay Jain  
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Joined 9 January 2019


Joined 9 January 2019
6 JUN 2022 AT 12:54

जो शाश्वत हैं ,जो अनन्त हैं।
करता भव-भृमण का अंत है।
वह श्रमण हैं ,वह श्रमण हैं।

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4 JUN 2022 AT 10:48

वो मुझसे रूठी थी।
मैं उससे रूठा था।

उसका रूठना मुझे खालीपन दे रहा था।
यही हाल शायद उसका भी हो रहा था।

वो भी कुछ कहना चाहती थी।
मैं भी कुछ कहना चाहता था।

मैं गले लगाने आगे बढ़ा ही था।
उसने सीने से लगा लिया।

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28 MAY 2022 AT 19:04

वो मिलना ही क्या
जहाँ ठहराव न हो

वो फ़िक्र ही क्या
जहाँ बाते न हो

ओर वो दर्द ही क्या
जहाँ प्यार न हो

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9 APR 2022 AT 15:08

भक्ति करनी है तो जिनेन्द्र प्रभु की करो,
भक्त बनना है तो जिनेन्द्र प्रभु के भक्त बनो।

इन्द्रयों पर संतुलन पाना है तो जिनेन्द्र का अनुसरण करो,
संसार भ्रमण से मुक्ति पाना है तो जिनेन्द्र बनो।

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20 MAR 2022 AT 8:17

कठिनाइया बहुत आई, बस कुछ दिनों की बात और है।
जो सफर शुरू किया था,वो अब पूरा होने वाला है।

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19 MAR 2022 AT 18:37

अपने निज अंतर के चित्रपट को देखो बाह्य तो नाट्य है।

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9 DEC 2021 AT 11:24

दुनिया मे देव अनेको है, अरिहंत देव का क्या कहना
उनके अतिशय का क्या कहना, उनके आश्रय का क्या कहना

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22 NOV 2021 AT 11:37

सत्पथ का कोई पंथ नही होता।

वीतरागी प्रभु जैसा कोई दूजा नही होता।

दुनिया में देव तो अनेक होंगे लेकिन वीतरागी प्रभु जैसे देव कोई न होंगे।

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26 SEP 2021 AT 15:29

उवसग्गहरं पासं, पासं वंदामि कम्म-घण मुक्कं ।
विसहर विस निन्नासं, मंगल कल्लाण आवासं ।।


अर्थ : प्रगाढ़ कर्म- समूह से सर्वथा मुक्त, विषधरों के विष को नाश करने वाले, मंगल और कल्याण के आवास तथा उपसर्गों को हरने वाले भगवान पार्श्वनाथ को मैं वंदना करता हूं !

- I bow to Lord Parshwanath, who is attended by the distress removing. Parshwa deity, who is free from all types of Karma, who is the destroyer of the poisonous defilements and who is the abode of bliss and well-being.

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20 SEP 2021 AT 11:04

उत्तम क्षमा .. उत्तम क्षमा।


🙏🙏🙏🙏🙏


*क्षमावाणी पर्व*

20/09/2021 भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा दशलक्षण पर्व हम सभी के जीवन में नई उमंग और उत्साह के साथ आते है , इन दस दिनों में हम सभी ने दस धर्म के बारे में जाना और हम सभी को इन दस धर्म का पालन पूरे वर्ष करना है , ऐसी हम सभी की भावना होना चाहिए।

जो क्षमा मांगे वह वीर है और जो क्षमा कर दे वह वीर है।

जीवन यात्रा पर चलते - चलते स्वार्थ , मोह अज्ञानतावश हुई समस्त गलतियों के लिए हम आपसे क्षमा याचना करते हुए स्नेह भाव की कामना करता हूँ ..

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