खुद के करीब आया हूं मैं।।
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"पिता"
मैं जानता हूं तू प्यार करता है मुझसे,
गुस्सा तो करता है पर सवालात नहीं करता।
तेरी मौजूदगी में सब कर लेता हूं मैं,
जो तेरा साथ करता है वो किसी का साथ नहीं करता।
सामने बैठा रहे तू और मैं तुझे ताकता रहूं,
खुदा कभी ऐसे हालात नहीं करता।
एक मेरा मन है जो तेरी गोद में खेलना चाहता है,
एक तेरा समय है जो कभी अनुमति नहीं करता।
जब भी दिल की बताता हूं तो यकीन नहीं करता,
सुनो – मैं बातें तो घूमाता हूं पर बकवास नहीं करता।
एक मैं हूं जो तेरी आंखों की शर्म करता हूं,
एक तू है नाराज़गी तो दिखाता है पर शर्मसार नहीं करता।
मैं चीख चीख कर बताता रहा प्यार अपना,
एक तू है जो प्यार सरे-आम नहीं करता।-
बियाह कर तो आज ले जाउ पर उससे पहले कुछ जताना है मैंने,
हां मैं तेरे काबिल हूं दुनिया को चीख चीख कर बताना है मैंने।।-
चाँद मानों किसी ने ढक दिया हो,
आजकल आसमान में दिखता ही नहीं।
दिल का दाम मानों कोड़ी कर दिया हो,
बाज़ार में लिए भटक रहे बिकता ही नहीं।।-
बदनाम हूं पर खुश हूं क्योंकि तूने किया है,
दर्द है पर मंजूर है क्योंकि तूने दिया है।।-
छोटी छोटी बातों पे रुठना अच्छा नही होता,
जो एक लड़ाई से बदल जाए वो प्यार सच्चा नही होता।
जिसका दिल टूटता है वो सब खो देता है,
दिल तोड़ने वाला अक्सर कुछ नही खोता।।🥀-
अब ज़रूरत नही।।
तेरी ये बेरुखी अब जचती नही,
मुझे देख तू पहले की तरह हस्ती नही।
एक टक निगाहें जिसपे लगाए बैठते थे,
आज उसको देखने के लिए आंखें तरस्ती नही।।
सावन तो वो पहले जैसा ही है आज भी,
पर तेरी मोहब्बत अब बरसती नही।
तेरी बचकानी बातें मुझे भी बच्चा बना देती थी,
ना जाने क्यों अब तेरी हरकतों में वो मस्ती नही।।
तेरा यू हर बात पे कहना की वक्त के साथ ठीक हो जायेगा,
मुझे तुम वापिस चाहिए तुम्हारे लौटने की आश्वस्ति नही।
ये हसी ठिठोली घूमना फिरना, इनसे बस उम्मीदें चलती है,
हमारी जिम्मेदारियों से सजाई हुई घृहस्ति नही।।
तुझे याद करके नींद अक्सर उड़ जाया करती थी,
थक हार कर शरीर तो निढाल हो जाता पर ये आंखें सोती नही।
कभी किसी की एक सिसकी पर दिल बैठ जाता था,
आज दिल ही टूट रहा फिर भी आंखें रोती नही।।
पर अब तेरी याद में तुझसे दूर रहना सीख लिया,
दिल ने धड़कन को बहलाना सीख लिया।
अगर अब सांस पे भी तेरा नाम लिखा हो,
तो अब उस सांस की ज़रूरत नही।।
हां अब ज़रूरत नही।।-
जब कागज़ रूपी मंच पर कलम थिरकती थी,
लैला मजनू की जुदाई का दृश्य लिखने में झिझकती थी।
जब दुनिया को लैला मजनू को अलग करने के अलावा कोई काम ना था,
ये तब की बात है जब शायर होना आम ना था।।🥀-
तुम्हारी हसी में हसती है और तुम्हारे दुख में रोती है,
वो मां ही है जनाब,
जो तुम्हारे उठने से पहले उठती है और तुम्हारे सोने के बाद सोती है।।🥀-