तेरे चेहरे की हंसी के खातीर ही तो लिख रहा हु,
तेरे चेहरे पर अब मैं खुद ही को देख रहा हु।।-
हमारी मोहब्बत पर इतनी इनायत हो,
मेरे दिल के कैदखाने की तू क़ैदी हो,
और ना ही कभी तेरी जमानत हो...-
आज तक ज़िन्दगी का,
हर एक मसला सुलझ गया है,
जब भी बात आयी! इंसान के
"चेहरे के ऊपर का चेहरा"
पहचानने की, यारो!
यहाँ पर हर कोई उलझ गया है।-
"ती भीति"
प्रेमा नी बोलींन!
भीति वाटते जर लागेल त्या सवय ची...
जवळ ही घेईन!
भीति वाटते जर परत तू दूर जाय ची...
मिठीत ही घेईन!
भीति वाटते जर तू नसता एकांतात रहाय ची...
हातात हात ही घेईन!
भीति वाटते जर परत ते हात सुटाय ची...
आपल्या पुढील जीवना ची पाहु स्वप्न!
भीति वाटते! भीति वाटते ग! परत स्वप्न तुटाय ची...
मिळेल सार तुला!!
पण हे सार परत घडणार नाही..
ही खात्री पटवून साथ देशील का मला?????????-
बदलते रिश्ते, बदलते लोग, बदलती आदतें,
यह तो हर दौर की एक नयी पहचान होती है,
सफर में अगर साथ रहना ही है तो,
बस! इन चीज़ो को हर दौर में समझने में,
अभी! कुछ दिन और लगेंगे.!
जरा वजह! तो बता देना खुद को बदलने की,
जरा खता! तो बता देना मुझसे जो हुयी है,
तेरे खातिर खुद को भी बदल देंगे हम,
बस! इन चीज़ो को हर दौर में बदलने में,
अभी! कुछ दिन और लगेंगे.!-
जीना तो में भी चाहता हु ज़िन्दगी का हर पल तुम्हारे साथ,
बस एक गौर! करना उस पर जो बात हम बताना चाहते है,
रिश्तों की शुरुआती दौर! में सब के इरादे "नेक" ही होते है,
जाने क्यों "ख़त्म करते वक़्त अक्सर वो इरादे बदल जाते है"।-
एक बात कहु! सुनो तेरी याददाश्त कमजोर है, मुझे खुद से ही चुराने वाला तेरा दिल ही एक चोर है,
फ़र्क आज भी कुछ नहीं!! मेरे दिल की धड़कन आज भी तु है और,इस दिल की धड़कन में आज भी तेरा ही शोर है।-
याद करो!
एक वक़्त था ! कभी हम भी गुजरे थे तेरे कूचे से,
बड़े बे-आबरू हो कर,
तभी तुमने तो साथ दिया ही नही..
अब क्यों ये उम्मीद लिए आये हो,
की किसी मोड़ पर
हम मिल जाये..-
चाँद-सितारो को उन आसमाँ तले जुगनू-औ,
सब को मे आज एक शाल में लपेटने वाला हु,
रौशनी को अँधेरे में तब्दील कर के यारो!
में आज अपनी मेहबूबा से लिपटने वाला हु।-