सपनों का वो आशियाना बिखर गया
जब सहर जगा दो रोटी कमाने के ख़ातिर-
Akshay Anant Vishnu
(अक्षय)
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Joined 18 October 2019
21 AUG 2022 AT 8:56
20 AUG 2022 AT 9:28
ये सिलसिला कुछ ऐसे ख़त्म होगा
या तो वो मिलेगा या बिछड़ेगा मुझसे-
18 AUG 2022 AT 11:38
जो ठहरा जौहरी उसकी तक़दीर में सोना आया
मैं ठहरा फ़कीर मेरे नसीब में रोना आया-
12 JAN 2022 AT 21:55
तूने आँखों से ही पिला दी साक़ी..
जाम लगाना बस तकल्लुफ़ हैं ज़माने के लिए..-
24 NOV 2021 AT 12:24
आपने शमा जलायी हम परवाने हों गए..
देखा फ़ुरसत से आज हे चाँद तुझे, तेरे दीवाने हो गए..-
11 NOV 2021 AT 12:02
वो नदी थीं वापस मुड़ी नहीं
मैं समंदर था आगे बढ़ा नहीं
~अज्ञात
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27 OCT 2021 AT 19:41
क्या हो गया इसे कि तुझे देखती नहीं
जी चाहता है आग लगा दूँ नज़र को मैं
~इस्माइल मेरठी
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