हम कहें कुछ तो भी क्या अब हर्फ जुड़ते ही नहीं ,
और पूछते हैं लोग हमसे क्या तिरी पहचान बोल ।
तू सर उठा कर रास्ते में बेखौफ चलता था कभी ,
बस इश्क़ ले डूबा तुझे क्या है तेरी अब शान बोल ।।-
वो सारी ख्वाहिशें तुझसे , वो सारी चाहतें तुझसे ।
मेरे सब नक्स तुझसे हैं , मेरी सब आदतें तुझसे ।।
मुझे क्या है जरूरत मांगने की तुझको उस रब से ।
मेरा तो है खुदा तू ही , मेरी सब इबादतें तुझसे ।।-
हूं छोटा तुझसे मैं मेरे मगर है हौसलें ऊंचे,
ना गिरने का है डर उनको तभी है घोसलें ऊंचे ,
जरूरी है नहीं की पूरा हो वो सब जो तू चाहे ,
अगर करना है कुछ अच्छा तू ख्वाब सोचले ऊंचे ।।-
है हक़ हमको भी जलने का मगर वो तो जुदा सा है ।
मसक्कत से बड़ी मैंने शिकस्त दुनिया में पाई है ।।-
जो कहनी है वो बात तुम बोलो तो सही ,
ना आएगी वो अब रात तुम बोलो तो सही ।
है दिल में कुछ और ज़ुबान पर कुछ आज जाने क्यों ,
मैं भी कर दूं इज़हार तुम बोलो तो सही ।।-
तेरी चाहत का बस इतना तो अंजाम हो
इश्क़ तेरा भी मेरी ही तरह नाकाम हो /
खुदा करे लोग तुझे बेतहासा चाहें
फिर भी बेचैन रहे तू न तुझे आराम हो //-
किसी ने पूछा ??
क्या करते हो तुम
मैंने भी कह दिया
जो ना दे सके इंसान इंसान को
उसके लिखे पन्नों को मैं इतना प्यार देता हूं-
अब हुआ इश्क़ तुझसे तो अंजाम भी देखा जाएगा'
गर नहीं लगेगा तुझसे दिल तो बेचारा कहां जाएगा,-
कुछ मीठा सा नशा था उसकी झुठी बातों मे,
वक्त गुज़रता गया और हम आदी हो गये ।।-
पूरी दुनिया से जुदा सी है वो,
मेरे दिन की पहली दुआ से है वो,
ना पूछो हाल हमसे तुम यारो उसका,
हम जिसे चाहते हैं खुदा सी है वो..!
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