मन में किन्ही कारणोंवश उत्पन्नहुई कषाय अगर 6 माह तक रुकती है तो वह अनंतानुबंधी कषाय बन जाती है।जो कि अनंतानन्त काल तक हमारे उदय मे आकर हमारा पीछा करती रहती है।और वही स्थिति पुनः पुनः दोहराती है। इसलिए उन्ही कारणों का स्पष्ट ओर सत्यता रूप में सरलता समता और क्षमा भाव धारण करके उस कषाय को 6 माह के अंदर अंदर ही मिटा देना चाहिए । ना किसी से राग'' न किसी से द्वेष ""✍️
🙏!!सबको क्षमा सबसे क्षमा !!🙏-
अच्छे के लिए अच्छा था मे गलत के लिए गलत था मे लोग सीधे वृक्ष पहले काटते है।सीधापन मैंने छोड़ दिया जिसने जैसा व्यवहार किया उसके साथ वैसा ही हो गया मे।।✍️👍
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सहन शीलता एक बहुमूल्य गुण है ।पर अपने स्वाभिमान को खोकर कुछ भी सहना अपने आप को खोने जैसा है।अतः आदर उसी का करो जो इसका अधिकारी हो जैसा बोओगे वैसा काटोगे फिर चाहे वो फसल हो या शब्द
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"पछतावा अतीत नहीं बदल सकता
और चिंता
भविष्य नहीं सँवार सकती !
"इसलिए वर्तमान का आनंद लेना
ही जीवन का सच्चा सुख है !!
जय जिनेन्द्र 🙏-
"पछतावा"
अतीत नहीं बदल सकता
"और चिंता"
भविष्य नहीं सँवार सकती !
"इसलिए"
वर्तमान का आनंद लेना
ही जीवन का सच्चा सुख है !!
जय जिनेन्द्र 🙏-
आइये जानते हैं। #(Law of karma) #
कर्म कारण और प्रभाव का नियम है। कर्म एक क्रिया है चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक, व्यक्तिगत हो या किसी समूह द्वारा किया गया हो; और प्रत्येक क्रिया का एक परिणाम होता है। प्रकृति के नियमों के अनुसार, मानव को अपने सभी किये गये गलत कार्यों के लिए निश्चित ही भुगतान करना पड़ता है। इसे ही Law of Karma कहा गया है। जब हम अपने विचारों, शब्दों या कार्य में एक नकारात्मक शक्ति प्रदर्शित करते हैं, तो वह नकारात्मक ऊर्जा हमारे पास वापस आ जाएगी।
कर्म का अर्थ दंड देना नहीं है। यह शिक्षा के लिए मौजूद है। गलत काम को गलत समझे बिना एक अच्छा आदमी कैसे बना जा सकता है? एक व्यक्ति केवल दुखी ही होता है अगर उन्होंने दुख के लिए परिस्थितियां बनाई हैं। कर्म एक जीवन शैली है जो सकारात्मक सोच और कार्यों को बढ़ावा देती है। ✍️👍-
क्षमा मांगने से हमारा अहंकार ढलता है।
क्षमा करने से हमारा संस्कार पलता है ।।
क्षमा शीलवान का शस्त्र है अहिंसक का अस्र है ।
क्षमा धर्म है क्षमा यज्ञ है क्षमा वेद है क्षमा शास्त्र है ।।
जाने कितनी ही बार आपका ह्रदय ,
हमारे द्वारा दुखित हुआ होगा ।
क्षमावणी के पावन अवसर पर,
मन, वचन, काया, से क्षमा याचना ।।
-अक्षत जैन-
दशलाक्षणीक धर्म सहज सुखकार है।
आनन्दमयी यह धर्म अहो मुक्ति द्वार है।
🙏 राग द्वेष तो कर्म है वीतरागता धर्म है।🙏
सभी के पर्यूषण पर्व आनंद और समता के साथ सम्पन्न हो। ऐसी शुभकामनायें
🙏🏻🙏🏻🙏🏻-
🇮🇳समस्त भारतीयों को भारत के 74वें स्वत्रंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई औऱ प्रार्थना है कि प्रत्येक भारतीय बिना किसी भेदभाव के सच्चे अर्थों मे स्वतंत्र भाव से जीवन जी सके।।🇮🇳✍️
#इंडिया नहीं भारत बोलो #-
।।जीवन चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियों में क्यों न डाले लेकिन में अपने चरित्र की सुंदरता को कभी खोना नहीं चाहता ।।🙏✍️
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