Akshansh Kulshreshtha  
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नये दौर का शायर

प्रत्रकार।
Joined 27 April 2018


नये दौर का शायर

प्रत्रकार।
Joined 27 April 2018
26 MAR 2022 AT 16:25

हमने "फ़िक्र" में पूछा पता उनका,
वो 'शक' समझ कर साथ छोड़ गए।

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24 MAR 2022 AT 22:08

तुम्हारी आजादी से ही तो मोहब्बत है हमको!
आखिर कैसी दिल में रख कर तुम्हें कैद कर लें ?
पिंजरा कितना भी सुंदर क्यों न हो होता पिंजरा ही है।

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22 MAR 2022 AT 19:11

सुनो,
बड़े शौक से लिख रहा हूं तुमको तुम पढ़ोगी न?
हां वहीं दुपट्टा ओढ़ मेरी लिए सजोगी न?
वो तुम्हारा नज़रे मिलते ही मुस्कुरा देना, मुझको हर बार तुम्हारा दीवाना कर देता है।
जो इतने दिनों बाद मिली हो आज, गले लगोगी न!
बड़े शौक से लिख रहा हूं तुमको तुम पढ़ोगी न?

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18 MAR 2022 AT 11:11

पढ़ना छोड़ दिया है मैने अब इन शायरों को,
न जानें इन्हें मेरी कहानी कैसे पता चल जाती है।

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18 MAR 2022 AT 10:34

तुम्हारा हाथ पकड़ कर, तुम्हारी आखों में बस खोना चाहता हूँ
बस सिर्फ तुमको खोने के डर से मैं हर बार तुम्हारा होना चाहता हूँ।
हां जानता हूँ, मेरा तुम्हारे करीब आना तुमको मुझसे और दूर ले जाएगा,
इसी लिए तुमको दूर से ही देख मुस्कुराना चाहता हूँ
बस यूंही सदा तुम्हारे साथ का वादा चाहता हूं
तुम्हारा हाथ पकड़ तुम्हारी आखों में बस खोना चाहता हूँ।

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12 MAR 2022 AT 20:10

जो मेरे लिए मेरी आदत थे
उनके लिए मैं बस शौक़ था।

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16 JAN 2022 AT 13:53

लिखने बैठा बेवफाई पर,
तो आईने पर नजर पड़ गई

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14 JAN 2022 AT 23:32

पैसे से मैं सचमुच नसीब ख़रीद लेता,
पर नसीब में ही पैसा नहीं है।।

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11 JAN 2022 AT 22:34

उसकी किताब में मेरा किरदार बुरा है,
मेरी किताब में अब उसका पन्ना ही नहीं।

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18 OCT 2021 AT 19:35

दोष किसको दूं अपनी नाकामी का ?
काश मेहनत को दे पाता।

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