@अपनों का परायापन
सबको सच्चे मन से 'साथ' देकर भी
जब खुद के 'साथ' केलिए कोई
भी हाथ आगे ना बढ़े और उल्टा
तुम्हारे मन में जहर है, ये जवाब
मिले, तो पास से गुजर ने वाला
जहरीला सांप भी अपना लगने
लगता है; क्योंकि जानवर ही
सही पास तो आ रहा है..-
जब अपने खुद के पास ना हो
और मजबूरी कि ये दूरी बनानी
पड़े तो दुनिया की किसी भी
अच्छी से अच्छी जगह जाओ;
नर्क लगती है ..-
पैसा
ज्यानी रक्त्ताची नाती मोडतात, ज्यानी माणसं वाईट होतात, ज्यामुळे मैत्रीत पाठीत खंजीर खुपसले जाते, ज्यामुळे मानुसकीची मान खाली जाईल अशी कृत्य घडतात..-
जब लोग बुराई कि सारी
हदें पार कर देते है
तब भगवान खुद उनका
फैसला करते है..-
खुदके स्वाभिमान की बात हो तो, झुको मत
तुम बेगुनाह हो तो डरो मत
जब जंग छिड़ ही गई है, तो रुको मत ..-
ज्ञानेश्वर माऊलींना बर्याच लोकांनी
त्रास दिला, त्यांच्या सोबत छळ कपट
केला, परुंतू आज त्याच लोकांची पिढी
माऊलींची पूजा करते ; तेव्हा आपल्या
आंगी असलेला चांगुलपणा हे कधीच
वाया जाऊ शकत नाही म्हणून आपले
सत्कर्मारची हातं कधीच दुष्कर्माने
भरू देऊ नका..-
अगर आपकी राह 'सत्य' की हो और 'सबूत' का हथियार आपके पास हो तो ब्रम्हांड कि कोई भी ताकद उसे झुंठा साबित नहीं कर सकती..
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असली दुनिया आम आंखों से नहीं दिखती,
नम आंखों से दिखती है ।
सारे हाथ जो हमारे साथ होते है
दिखावटी होते है
क्योंकि जरुरत पड़ने पर शायद ही साथ देते है ।-
रात में किए जाने वाले हर
कारनामे काले नहीं होते,
बिना गंदगी के यू ही
जाले नहीं होते..
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हे खरे आहे की वाईट काळ
काळजावर घाव देवून जाते,
पण वास्तविक मन व चेहरे
ही दाखवून जाते..-