उस होने के पीछे , बहुत कुछ हुआ , होता है ,
अतीत में
तब जाकर , वह दिखता है
वर्तमान में ll
इसलिए जो हो रहा है , बस उसे मत देखो
वह तो नतीज़ा मात्र है
देखना है तो उसे देखो , जो इस घटना का जिम्मेदार
और इसका मुख्य पात्र है ll-
दिख जाएंगे शब्दों में तुमको, तुम्हारे हीं " घाव "
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सुनो ! की तुम भी कहो ,
मैंने तो बस इतना चाहा , की अनकहा समझो !!
बस बात इतनी सी भी नहीं बची थी क्या,
दरम्यान अपने
समझ जाती, तो कहता, क्या कहने
ख़ैर
सुनो ! मैंने कब कहा की तुम भी कहो ,
मैंने तो बस इतना चाहा , की अनकहा समझो !!-
ज़रा सी देरी से आना हुआ , तो "वो" रूठ गए
हमने इस मुलाकात के लिए , बस कुछ रात ही "उनींदी" की है !
और फैसला करने को आमादा है "वो" मेरे "इस घड़ी दो घड़ी का"
हम ने तो हिसाब रखना , "अरसे का" "कब से" छोड़ दी है ll-
ज़रा सी देरी से , देखो हिस्से ग़म आ गया है ,
जो थोड़ी जल्दी समझता , हिस्से खुशियां होती ll
-
सबको जीतना है ,
पर कोई एक भी ,पीछे छूट गया तो
फिर कहाँ , पूर्ण आजादी का मिलना है ,
इसलिए ग़र , किसी के कदम , शिथिल हुए हैं ,
कोई थक कर , छूट रहा हो ,
तो हाथ बढ़ा कर , उसे थाम लो ,
आजादी सब के संग ही , अच्छी लगती ,
सब के लिए , इसे ठान लो ,
हो तुम इसके , सजग प्रहरी
जगत को यह , पैगाम दो ll
आज़ादी की होड़ में
बस "स्व" का बलिदान दो l-
सुनो !
सुनो ना !!
❤️
तुम बाजार में थोड़ा , कम जाया करो ,
नज़रें बुरी हैं वहाँ , खुद को छिपाया करो,
बड़ी बेशकीमती हो , तुम्हें पता ही नहीं है
खर्च होने से खुद को , ज़रा बचाया करो ll
❤️
सुनो !
सुनो ना !!-
दोस्ती पर बड़ी बड़ी , बात लिख दी ,
बिना इसके सब सून , ज़ज्बात लिख दी ,
और जब कहा की चल मिल बैठे हम
फुर्सत कहाँ है , मशरूफियत ए हाल लिख दी !!-