चाहा बहुत की पा लूँ सब , देखा आहिस्ता - आहिस्ता सब छूट रहा है ,
ख़्वाबों की दुनिया सजाई बहुत , देखा आहिस्ता - आहिस्ता सब घुट रहा है ,
और सुनो ! तुम चलो ना चलो, यह परवाह ज़िंदगी को यहाँ कहाँ है ,
रफ्तार है इसकी बहुत , देखा आहिस्ता- आहिस्ता कीर्तिमान सब टूट रहा है ll-
दिख जाएंगे शब्दों में तुमको, तुम्हारे हीं " घाव "
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कुछ "स्पर्श" "वासना" के लिए नहीं
"बिलखती और सिसकती" हुई "रूह" के लिए होते हैं,
और जब समबन्ध में "साथी" नहीं, "उसका साथ" भाने लगता है, तो समझ लो
वे "निश्छल प्रेम" की तरफ, बढ़ने लगे हैं ll
उनके कदम
"अलौकिक दुनिया" की तरफ, उठने लगे हैं ll-
बहुत भर से गए हो ,
कब तक रखोगे मौन, कब से कुछ कहे नहीं हो ,
और देखो मौसम भी बदलने को अब है यहाँ
तुम भी बरस जाओ, अर्से से मुझपर बरसे नहीं हो l-
बहुत आगे निकल गया है ,
ज़माना बदल गया है ,
पहले सफल शादी को , एक achievement मानते थे ,
अब शादी के बाद, सफ़लतापूर्वक जान बच जाए , यही achievement है ,
अब तो चलन है
शरीफ आओ, सबको भरमाओ
शादी करो honeymoon पर जाओ
षडयंत्र करो, पति निपटाओ
निपटाने के हैं अलग अलग तरीके
उसे अपनाओ, जग को दिखाओ, जग को सिखाओ
कभी ड्रम, कभी खाई
कभी साँप , से है कटवाई
सुकोमला ने देखो , कितनी लंबी छलांग, है लगाई
सशक्तिकरण की खूबसूरत छवि है पाई
मृगनयनी से विष कन्या, बन है उभर आई
म्हारी छोरी, छोरो से कम है की
इसकी जीती जागती प्रतिमूर्ति, खुद को है बनाई
हाँ बहुत आगे निकल गया है ,
ज़माना सचमुच बदल गया है ll-