कुछ खामोश पलों में थोड़ी सी जान भरनी है , रात के अंधेरे में इन चांद तारो सी रोशनी करनी है तेरी मेरी बातों की वो मिठास सी भरनी है यादों से तेरी, मेरे दिल की किताब जो लिखनी है।।
तेरे बिना बाते कुछ अधूरी सी लगती हैं, इतना करीब होकर भी कुछ दूरी सी लगती है। अब तो ये राते भी खूनी सी लगती है, तेरे बिना जिंदगी कुछ यूं सूनी सी लगती है, की जिंदा रहना भी अब इन सांसों की मजबूरी सी लगती है।।