Happy Birthday Amjad Bhai
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Aks Faqat Wohi Likhta Hai Jo Wo Ilhaam ka... read more
क़ुर्बान है जान ए अक्स,
क्या दिलकश है उसका उसलूब
सुकून पाना चाहते हो?
अला ! बि-ज़िक्रिल्लाहि
ततमईन उल क़ुलूब
सुन लो! अल्लाह की याद
ही से दिलों को इत्मीनान
(सुकून) हासिल होता है।
सूरह 13, आयत 28
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आक़ा की शान बता देती है गुलामो की शुजाअत
ए अक्स
गुलाम पर लाज़िम है फ़क़्त आक़ा की इताअत-
मुर्शिद की नज़रो से,
मुरीद को,
पिलाया जाता है ये जाम,
इसे वो क्या जाने,
जिसे ना मालूम,
हकीकत ए दुरूद ओ सलाम,
हर सूफ़ी ने पढ़ा जब यह कलिमा,
तभी बन सका वो वली अल्लाह,
ला इलाहा इल्लल्लाह,
मुहम्मदुर रसूलुल्लाह,
व अलीयुन वलीयुल्लाह-
जल्द या बा देर, मरेगा हर "शख्स"
जो था,है,और रहेगा वो है "अक्स"
अक्स हिन्दू भी है,मुसलमान भी
पढता है गीता और क़ुरआन भी
सुन्नी भी है शिया भी, पंडित भी शूद्र भी
यूं तो शांत है एक वक्त बनता है रोद्र भी
अक्स से मुराद यहाँ रूह / आत्मा से है, और शख्स जिस्म से-
शाम का सूरज, जब रात के अँधेरे मे,
दाखिल होता है,
सियाह रात गुज़ारने पर ही "अक्स",
सवेरे के क़ाबिल होता है-
अज्ञानता के अँधेरे मे सब,सस्ते बिक रहे हैँ,
नेता की रोटी बन के,आग पर सिक रहे हैँ-