धन बरसे या ना बरसे.. कोई रोटी को ना तरसे.
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हमारा लाडला पोता - राजवीर पवार
बहुत शरारती है वो...
बहुत करामाती है वो...
ब्लॉक से ऊंची ऊंची इमारतें बनाता है
गिराकर उसे इंजिनियर को फोन लगाता है
ईमारत गिर गई है साथ फायर बिग्रेड भी ले आना
खुद का खिलौना फायर बिग्रेड निकालकर ले जाता है
खुद ही फायर बुझाता है..
नई इमारत बोहोत ऊंची फिर बनाता है
बोलता है बाबा मुझे बच्चा नही समझना..
समझाने उसे मै खुद बच्चा बन जाता हूं..
आज कल के पोते दादा के भी दादा है यह जानता हूं।
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उजड़ रहा है मुल्क, वक़्त सब पर बहुत भारी है
बेज़ान लाशों को नहीं मिल रहे कंधे
ना जाने अब किसकी बारी है।-
वो जलकर अब राख में तब्दील हो गया।
हर मोह, लोभ और द्वेष से दूर हो गया।
बेज़ार था ज़मीन पर तब तक किसी ने ना पूछा ।
आज वही शक्स, सबका प्यारा हो गया ।-
इस देश में आस्था मूत्र तक पीने को प्रेरित करती है और पाखंड दलित के हाथ का साफ पानी भी नहीं पीने देता।
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I do not understand whether "Beti Bachao" is a slogan or warning.
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You cannot make everyone think and feel as deeply as you do.
This is your tragedy...
Because you understand them, but they do not understand you.-
Everyone is born CURIOUS. However, Curiosity is later crushed by School and the Society.
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"And through that telescope we'll spot you again, You truly are a double slit photon, A Neutron Star."
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ज़िन्दगी गुलज़ार है तु बस खफ़ा मत होना, मेरी कलम अभी बेरोज़गार है तू बस बेवफा मत होना....
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