घास पर हूँ
ओंस की बूँद जैसी
हैं क्षणिक जीवन की अवधि जानता हूँ
सत्य यह
अकाट्य है मानता हूँ
धैर्य हैं धरा सा तनिक नही विचलित हूँ
तोड़ आया
भावनाओं के तटबन्ध सारे
कर्म ने फल से सभी अनुबंध तोड़े
जीवन की युद्धभूमि में अभी संत्रास पर हूँ
अल्पनाओं के
नये श्रंगार में हूँ
कल्पनाओं के नये संसार में हूँ
लौट आऊँगा मत पुकारो अभी प्रवास पर हूँ
विलुप्त
हो सकता नही
मैं कहीं खो सकता नही
अब भी हर प्रसंग हर सन्दर्भ में हूँ
भ्रमण कर रहा
दिग्भ्रमित पथिक सा
हैं कहाँ गंतव्य मेरा
कहाँ तक सांसों का फेरा
आत्मा परमात्मा के गर्भ में हूँ
हूँ धरा पर या
अभी आकाश में हूँ
त्याग आया ये सभी ख्याल अब मैं
द्वंद्व
अंतर्द्वंद्व से निकलकर
मोह माया से परे बन्धनों के बंध से भी दूर हूँ
अब कोई बेड़ी न डालो मैं अभी सन्यास पर हूँ!
— Ankit mishra ✍️-
ज़रा पाने की चाहत में, बहुत कुछ छूट जाता है,
नदी का साथ देता हूँ, समंदर रूठ जाता है.
तराज़ू के ये दो पलड़े कभी यक्साँ नहीं रहते,
जो हिम्मत साथ देती है, मुक़द्दर रूठ जाता है.
अजब शै हैं ये रिश्ते भी, बहुत मज़बूत लगते हैं,
ज़रा सी भूल से लेकिन, भरोसा टूट जाता है.
गिले शिकवे, गिले शिकवे, गिले शिकवे, गिले शिकवे,
कभी मैं रूठ जाता हूँ, कभी वो रूठ जाता है.
बमुश्किल हम मुहब्बत के दफ़ीने खोज पाते हैं,
मगर हर बार ये दौलत, सिकंदर लूट जाता है.
ग़नीमत है नगर वालों, लुटेरों से लुटे हो तुम,
हमें तो गाँव में अक्सर, दरोगा लूट जाता है.
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जिन्दगी खेलती भी उसी के साथ हैं,
जो खिलाड़ी बेहतरीन होता हैं,
दर्द सबके एक से हैं , मगर हौसले सबके अलग - अलग हैं,
कोई हताश होकर के बिखर जाता हैं,
तो कोई संघर्ष करके निखर जाता हैं।
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चट्टाने उड़ रही हैं
बारूद के धुंए और धमाकों के साथ।
चट्टानों के कानो में भी उड़ती - उड़ती
पड़ी तो थी अपने उड़ाये जाने की बात
वे बड़ी खुश थी।
उन्हें लगता था
उन्हें उड़ने के लिए वे लोग
पंख लेकर आयेगे।-
दुनिया ने बहुत कुछ सिखाया मां!
पर तूने जो सिखाया मां
वो दुनिया से नही सिख पाया
बहुत कुछ लिख कर भी,
तेरे बारे में जब भी लिखा , मेरी कलम को भी तेरी ममता भरी बातों ने रुलाया ...✍️
चलती फिरती आंखो में
अर्जी देखी हैं
मैने स्वर्ग तो नही देखी
लेकिन, स्वर्ग से भी सुंदर अपनी मां के आंचल की छाव देखी हैं...
#Happy मदर्स डे 🙏🙏🙏
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राह में मुश्किल होगी हजार
तुम दो कदम बढ़ाओ तो सही
हो जायेगा हर सपना साकार
तुम चलो तो सही... तुम चलो तो सही..
मुश्किल हैं , पर इतना भी नही
की तू कर ना सके
दूर हैं मंजिल लेकिन इतना भी नही
कि तू पा ना सके
तुम चलो तो सही... तुम चलो तो सही..-
कोशिश कर , हल निकलेगा
आज नही तो , कल निकलेगा
अर्जुन के तीर सा सध
मरुस्थल से भी जल निकलेगा
मेहनत कर, पौधो को पानी दे
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा
ताकत जुटा , हिम्मत को आग दे
फौलाद का भी बल निकलेगा
जिंदा रख , दिल में उम्मीदों को
गरल के समंदर से भी गंगाजल निकलेगा
कोशिश जारी रख कुछ कर गुजरने की
जो हैं आज थमा - थमा सा ,चल निकलेगा।-
भरकर रंग बिरंगा पानी
दिल में लेकर UPSC की प्रेम कहानी
इस जुनून से लड़ा जाए
UPSC का रंग उभरकर आए
रंग रंगे यदि केवल तन को
रंग न पाए अंतर्मन को
फिर रंग का मतलब क्या रह जाए...
LBSNAA तक यदि वो पहुंच न पाए
इसलिए यूं कुछ तैयारी हो
शब्दों की भी पिचकारी हो
जब मेहनत के रंग से तन को रंगा जाए
तब मन भी खाली न रह पाए
भरकर रंग बिरंगा पानी
दिल में लेकर UPSC की प्रेम कहानी....
ये होली रंगों के फुहार से अधिक शब्दों की फुहार की हैं। अपने शब्दो में अपनापन घोले और पहुंचा दे हर किसी तक , अभी..... इसी वक्त
होली की आप सब को मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं ... आपका जीवन हमेशा सुनहरे रंगों से भरा रहे..
#Happyholi
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थी अधूरी सूचना या
भाव तुम समझे नहीं
क्योंकि तुमने जो कहा
हम उस तरह तो नहीं
मैने लिखने को तुम्हे था
प्रेम का सागर चुना....
उतरकर तुम पढ़ ना पाए
फिर मैं कन्हू तो क्या कन्हूं...
मूक (खामोशी) प्रस्तावों को क्या
पत्र पर लिखना उचित हैं
नेत्र जिनको गा रहे हो
हर बार क्या कहना उचित हैं
निःशब्द कथनों पर तुम्हारे
निःशब्द "हां" की थी प्रतीक्षा
न प्रतिक्रिया तुम दे सके
फिर मैं कन्हु तो क्या कन्हू...
एक क्षण मिलना तुम्हारा
हृदय मेरा तार देता..
ना कर सकोगे कल्पना
जो प्रेम को विस्तार देता
लाखो ह्रदय अर्पित मुझे थे
ये था मेरा संक्षिप्त परिचय...
एक तुम्ही को समझा ना पाए
मैं कन्हु तो क्या कन्हू...
- अंजान ( SAM)-