दूसरा इश्क़ न करूं? बेहतर! तेरे हिज़्र में ही रहूं? बेहतर! तू कहीं भी न मिले मुझे मैं ढूंढता रहूँ तुझे? बेहतर! तू जहां चाहे पेश हो जाऊं तू न चाहे तो ना दिखूं? बेहतर! तेरी हर बात पर झुका दूँ सर तेरी हर बात पर हिला दूँ सर? बेहतर!
कि ज़लज़ला है ये कैसा लाशों का असीम भँवडर, कहर ही कहर है अब तो हो रहा हर तरफ बस मातम का साया, देखता हूं भयावह ये मंज़र लग रही बीमारी जैसे खंज़र, हो जाये बस फिर से सवेरा कुछ रहम कर दे मौला, कुछ रहम कर दे मौला...🙏🤲
न रोमियो का क़िस्सा, न जूलियट की कहानी होगी न गोपियां भांवरी, न मीरा दीवानी होगी होगा दूर फ़लक़ पे एक टमटमाता सितारा और उस रोज़ सबकी ज़बान पर बस 'आकिफ' की कहानी होगी !