जब दिल की बात होती है,
फिर दुरी कहाँ साथ रह जाती है,
भावों के समंदर को,
कोई प्रवाह कहाँ रोक पाती है।
अल्फाज़ रगों का मेल है,
उसके आगे भौतिकतावाद फेल है,
ना कोई मोल ना कोई एहसान,
ये तो दिल के रिश्तों का खेल है।
लेकर नव तमन्ना आता है,
भावों से हर जगह को जगमगाता है,
कर रौशन जग सारा,
वो दिलों को अरमान थमाता है।-
दोस्त बन वो साथ निभाते हैं,
दूर से ही दुआ फरमाते हैं,
ख्याल हर पल रख कर
राहों में गुणगान करते हैं,
परिकल्पनाओं से दूर ले जाकर कहीं,
सच्चाई से हमें रूबरू करवाते हैं,
भूलकर एक दूजे की त्रुटियां
उसके सुधारक बनते हैं,
ना कोई गिला ना कोई शिकवा,
एक दूजे के परिचालक बनते हैं,
हाँ, कुछ ऐसे ही वो दोस्त बनते हैं,
बन कर दोस्त हर कदम साथ चलते हैं,
हाँ, कुछ इस कदर वो,
हमें अपने दिल में रखते हैं,
दूर होकर भी ना वो दूर होते हैं,
पास आकर भी ना वो कुसूर होते हैं ।।
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किताबों में लिपटा जो गुलाब है,
किसी की यादों का सैलाब है।
गम जो आए इस राह में,
वो मरहम रूपी एक हिसाब है।
नज़राना इससे ना बढ़कर कोई,
ये तो हर चीज से नायाब है।
गम अगर आए इस राह कभी,
ये उस जख्म पे मरहम बेहिसाब है।
जब कभी याद आएगी तुम्हारी
ये उस वक़्त का तेरा आदाब है।-
अभी तो मेरे चलने क़ी शुरुआत है,
बाकि तो अभी आसमाँ क़ी बात है।
हौसलों के समंदर के साथ बढ़,
ऊँची उड़ान भरने के जज्बात है।
देखा है मैंने भी असीम दर्द जीवन में,
उससे सीख आगे बढ़ने क़ी चाहत है।
गिरते संभलते मुश्किल पड़ाव में,
मुकदर के साथ चलने में राहत है।
अडिग कदम के साथ बढ़ इस रण में,
असीम सपनों से करना मुलाकात है।
कुछ अलग करने क़ी चाहत लिए,
खुद को उस काबिल करने क़ी दरख्वास्त है।
ना रुकेंगे कभी कदम इस पड़ाव में,
मंजिल के लिये मन अटूट ख्यालात है।
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