निकाली तो जा सकती है
नसूरे ऊंगली की।।
मगर दिल में बसे
किसी की मोहब्बत नहीं।।
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सवाल ------
तेरे इश्क़ में आके
मैंने गुनाह क्या कर दी
जो मुझसे तूने मूंह मोड़ ली।।
जवाब ------
मेरा इश्क़ तूने
कभी समझा ही नहीं
गुनाह तो हुआ तुमसे
मुझे जानने का नहीं
परखने की कोशिश की।।
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आज भी उसी राह पर है हम।।
जिधर से भी पुकारोगे हमे
उधर दौड़ चले आयेंगे हम।।
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जो जुबां पे हो
वो दिल में भी हो
ये जरूरी तो नहीं।।
जो दिल में हों
वो जुबां पे भी हो
ये जरूरी तो नहीं ।।
मगर जो दिमाग में है
वो किसी को ख़बर तक नहीं।।-
किधर जाइयेगा
जिधर भी जाइयेगा
हमे ही पाईयेगा
बेचैन दिल जब होगा
आप हमे ही धूढीयेगा
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सामने से मुखड़े को
छुपाती हो शरमा शरमा कर
फिर जो किसी का
दीदार क्यों करते हो छुप छुप कर
तेरे बालों को संवारना कानों पर
जो किसी को देख देख कर
फिर बातें क्यों करते हो
हिच हिचा कर ।।-
ज़िंदा बनाएं रखा हैं हमे
ख्याल ही तो हैं ये
लौटेंगे एक दिन वो
ख्याल ही तो हैं ये
मिलेंगे सामने से वो
नज़रे मिलाएंगे कैसे वो
इतनी दास्तां बीत गए जो
गुजरी हुईं लम्हों में
ख्याल ही तो है ये।।
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हार गए हम
जब से तेरी सूरत देखी हैं
खुदा की कसम मदहोश
हो गए हम
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