Akhlesh Singh Tomar   (अखलेश सिंह तोमर)
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Nature Lover, Sometime Poet, Govt Employee@MPGovt_RevenueDepartment
Joined 17 April 2020


Nature Lover, Sometime Poet, Govt Employee@MPGovt_RevenueDepartment
Joined 17 April 2020
3 APR 2024 AT 0:28

ए जिंदगी तुझपे क्या गीत लिखूँ
दुश्मन कहुँ तुझे या मनमीत लिखूँ।।
कभी रुलाती हो तो कभी हँसाती हो
शिकवे करूँ तुझसे या कि प्रीत लिखूँ।।
जहाँ भी देखें सब अपने मे ही मस्त है,
स्वार्थ की माया में फँसे मतलबपरस्त हैं
हजारों वर्ष नहीं जीना,बस कुछ लम्हो की बात है
सूर्य उगता ही है क्योंकि अंत में होना सूर्यास्त है।।
मन मे बिठाये जीते हैं कि सब कारोबार हमयी से है।
ये चमक ये दमक मधुवन में महक सबकुछ सरकार तुमई से है।।

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7 SEP 2023 AT 1:30

शासन की दमनकारी शक्ति से जब पटवारी ने कहा रुको,
मदमस्त हो सत्ता में चूर शासन ने कहा पहले तुम झुको।।
बौखलाया तिलमिला के पटवारी जो आम था,
25 वर्ष के आश्वासनो से जिसका पैर जाम था।।
अजी और कितना झुकें तुम्हें कितना सलाम दें,
हर बार ही छले गये,तो क्यों मौके तमाम दें।।
अजी सब पता है आपको क्यों आज हम अड़े,
मत भूलिए इस शोषण से आखिर कब नहीं लड़े,
नित योजनाये आपकी ज्यूँ मेमो की भीड़ हो,
उस भीड़ को भी भेद के इक पैर पर खड़े।।
कुछ नहीं गिनाना कि हमने क्या कुछ नहीं किया,
बदले में हमें जो दिया बस चुपचाप रख लिया,
जो कम सुने उसके लिए तो आवाज तेज दें,
जो सुनके भी अनसुना करें उन्हें केसी टेर दें,
दमनचक्र को हथियार जब जिसने भी बनाया,
इतिहास गवाह है,अहंकार ने कितनो को डुबाया।।
--- अखलेश सिंह तोमर,पटवारी
कुरवाई,जिला-विदिशा

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1 JAN 2023 AT 5:03

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24 OCT 2022 AT 13:29

बड़े उखड़े उखड़े से लग रहे हो,कुछ राज है क्या।
बाहर से मुस्कुराते बहुत हो,
दिल में सुलगती कोई आग है क्या।
मौसम त्यौहार का बड़ा मनमोहन सा होता है,
मगर जैसा मजा इसमें कल था,वैसा आज है क्या।।
#शुभ_दीपावली💐💐💐

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30 JUL 2022 AT 12:40

कुछ नया कुछ अलग कुछ खास होना चाहिए,
हम जी रहे हैं किन्तु ये एहसास होना चाहिए,
न अडिग है ये जमीं, न सरहदों में आसमा
आज हम हैं, कल नहीं थे और कल का क्या पता
क्यों सभी ख़ामोश हैं, स्वार्थवस मदहोश है
न किसी को होश है, कम समय का दोष है
अब,न दया का भाव है, कपटी हुआ स्वभाव है
अब दोष किस को कौन दे,निःस्वार्थ का अभाव है
आत्मा पे गहरा घाव है,आध्यात्म बस इक छाँव है,
यह छाँव अंतिम सत्य है, यहीं आत्मा का गॉंव है।
गाँव में ठंडी छाँव है,परमात्मा का ठाँव (ठिकाना) है।

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7 JUN 2022 AT 8:27

साथ तेरा जो मेरे साथ है,
हाथ तेरा जो मेरे हाथ है,
धूप छांव दोनों से गुजरे,
पथ में कठिनता सहज बात है।

अपने जब होते हैं पराये,
धूप में सबने रंग दिखाये
छांव में देना संग किसी का
बुरे समय में पास न आये

फिर ऐसे रिश्ते,सभी वो नाते,
मेरी दृष्टि में कोरी बकबास हैं।
डूब रहे को दे जो सहारा,
तिनका वही बस हृदय- पास है।

हाथ तेरा जो मेरे हाथ है, साथ तेरा तो मेरे साथ है।
समय के फेरे सभी फिरेंगे,आम रहे या खासमखास है।।

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4 JUN 2022 AT 1:32

वक़्त के साथ हर रिश्ता बदलते देखा,
अपनों के हाथ से हाथ फिसलते देखा,
कीमत यहाँ इंसानो की नहीं है,
वक़्त बुरा होतो परछाई को साथ छोड़ते देखा

ईमान खरीद ले हमारा इतना तो कोई अमीर नहीं
झुक जाए अन्याय के आगे ऐसा भी जमीर नही
ईश्वर की अदालत में फैसला सबका होगा,क्योंकि
वहाँ चलता कोई षड्यंत्र और झूठ की लकीर नहीं

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6 FEB 2022 AT 0:37

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4 NOV 2021 AT 9:07

खेतों से मिट्टी की सौंधी महक आ रही है,
गोबर की लिपाई,आँगन की शोभा बढ़ा रही है।
तुलसीगृह के चारों ओर सजी दीपक की माला
बालकनी में सज्जित लाइट्स की वो झाला
त्यौहार पे घर आना,दीवाली गांव पे मनाना
सबकी खुशियों से हमारा खुश हो जाना
परस्पर प्यार हो एवम सम्रद्धि सबके उर आये
सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।।

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25 OCT 2021 AT 0:34

चांद का रूप देखा फिर देखा इधर,
चांदनी जैसी मधुरिम और लालिम अधर
तुम ही बसते ह्रदय की हरेक सांस में
तुमको पाके गया है ये जीवन सुधर।।

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