Akhilesh Verma   (Akhilesh Verma)
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Joined 15 October 2018


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Joined 15 October 2018
29 JUL 2024 AT 8:37

ज़िन्दगी ने कैद कर दी है कलम को।
शब्द अब भी मुझे पास बुलाते हैं।
कई खिससे अभी भी बाकी हैं जिंदगी के।
बन के कल्कि कलम को आवाज लगाते हैं।
#एक______🙏🌺

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23 JAN 2024 AT 22:13

तुम्हारे इंतजार में,
ओ, वहां पर, हाँ वहीं, कहिं तुम तो नही,
क्या तुमने ही अभी आवाज लगाई है।
हाँ, ठहर जाते हैं यूँ ही फिर से एक आस में विश्वाश में एहसास में।

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21 JAN 2024 AT 4:28

जय श्री राम🙏🌺
भूल तुमसे, हे मानव, यदा कदा होना चाहिए।
माँ हो या हो मातृभूमि, आदर सदा होना चाहिए।
है मिला, कुछ वर्ष जीवन, हर एक प्राणी को यहां।
धीर वीर हर मानव यहां मर्यादित होना चाहिए।
#एक______🙏🌺

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10 JAN 2024 AT 21:42


ये सृष्टि और सुंदर लगने लगेगी।
एक बार खुद से मिल के देख लो।

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8 JAN 2024 AT 16:48

पूर्ण व अपूर्ण की कहानी है।
किसी पूर्ण को ही सुननी है।
अपूर्ण कह नही सकते इसे।
पूर्ण अनन्त/अंत की निशानी है।
एक______🙏🌺

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6 JAN 2024 AT 21:56

दिखें जो श्री राम, बस हनुमान का ज़िगर होता है।

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3 JAN 2024 AT 22:18

ओ रात नही, ओ बात नही
अपनेपन का एहसास नही।
कहने को सारी दुनिया है।
लब्जों में ओ जस्बात नही।

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3 JAN 2024 AT 22:12

आपके होने से सब कुछ था। अब जब आप नही हो तो कुछ भी कुछ भी अपना नही लगता।

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31 DEC 2023 AT 14:50

तुम बदल जाते हो।
बीते हुए दर्द को जख्म दे रुलाते हो।

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31 DEC 2023 AT 9:04

धर्म मे आकाश है तो कर्म में धरती खड़ी।
जीव के विस्तार में, दोनों ने है माया गढ़ी।
हैं अधूरे दोनों ही इस लोक और परलोक में।
पूर्ण करने को अधूरे ख्वाब ही ममता पड़ी।
#एक_____🙏🌺

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