अब उठो पार्थ आँखे खोलो
लक्ष्यों का तुम संधान करो
लाभ हानि आचार नहीं
तुम कर्मसूत्र का गान करो
चहुँ ओर खड़े सब महारथी
सबकी गति मुझसे निश्चित है
मैं परब्रह्म परमात्मा हूँ
ये कर्म तेरी बस नियति है
उठ तान पुनः प्रत्यंक्षा तू
गाण्डीव पुनः उदघोषित हो
अरिमर्दन अर्जुन कर प्रहार
भयभीत अंगरा सैनिक हों
संपूर्ण धरा पर एक है तू
क्यों अवसर व्यर्थ तू करता है
कर सिद्ध स्वयं की विद्या को
क्षत्रिय युद्ध ही करता है- Abhay
3 JUL 2018 AT 0:09