akhilesh kumar  
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Joined 31 December 2017


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17 FEB 2021 AT 9:56

किसी अपने से..


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10 DEC 2020 AT 22:39

मैंने शहर को देखा
और मैं मुस्कराया
वहां कोई कैसे रह सकता है
यह जानने मैं गया
और
वापस न आया

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1 JAN 2020 AT 7:56

चलो
मैं नीद बनूँ
तुम ख्वाब बन जाओ

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24 DEC 2019 AT 19:11

ये जो डायरी पड़ी है
मेरे आलमारी के एक कोने में,
उसमे लिखा कुछ नहीं
छिपा गहरा राज़ है,
इज़हार है..
इन्तजार है,
खयाल है..
ख्वाब है,
अश्क़ है..
अल्फ़ाज़ है,
इश्क़ है..
बदनाम है।

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20 DEC 2019 AT 5:59

तू नहीं तेरी याद नहीं,
ऐसा तो कुछ भी नहीं,

तू है,
तेरी याद भी है,
वक़्त की साज़िश भी है,
तू रूह है,
तू मुझसे कभी अलग ही नहीं।

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17 DEC 2019 AT 7:25

मुझे याद है
बचपन में मेरा स्कूल जाना,
सुबह का नाश्ता,
और स्कूल जाते वक़्त मेरा रुठ जाना,
फिर मम्मी का डांट के मनाना,
और पापा का 2 रुपये का लालच दे कर मनाना,
हालांकि....
ये बस यादें बन के रह गई हैं।

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15 DEC 2019 AT 21:02

कुछ दिनों पहले की ये बात है..
एक शख़्स अंजान सा था..
अब वक्त ऐसा है..
वो जान से भी ज्यादा अपना है।

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15 DEC 2019 AT 6:31

एक रोज़ यूँ उनसे मुलाकात हो गई
वो देख कर हमें मुस्कुरा पड़े,
हम उन्हें मुस्कुराता देख सारे ग़म भूल गए,
मेरा वक़्त थम गया था उन्हें देख कर,
ये बंदिश थी या कुछ और,
न वो आगे बढ़े और न हम उन्हें गले लगा पाए,
ये पहली मुलाकात नहीं थी हमारी
हर रोज़ ऐसे ही मुलाकात होती है
ये भी सच है,
हम जब भी मिलते हैं पहली दफा मिलते हैं।

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1 NOV 2019 AT 22:44

ये शब्दो का खेल,
महज एक खेल नहीं..
जज्बात हैं, दिल के एक कोने में दफन कहीं,
जो शब्दों में बयां होते हैं..!

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1 NOV 2019 AT 22:38

बिना रौशनी ये भी साथ छोड़ जाती है,
पल भर के लिए ही सही
अंधेरा होते हीं परछाई भी गुम हो जाती है।

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