Akhilesh Ketan Tripathi   (अखिलेश त्रिपाठी 'केतन')
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प्यार का कवि हूँ प्यार बाँट रहा हूँ।
Joined 3 November 2018


प्यार का कवि हूँ प्यार बाँट रहा हूँ।
Joined 3 November 2018
16 MAY 2022 AT 0:35

मगर जब जाते हो
तो हो जाता हूँ
मैं भी लगभग रंगहीन
आसमान की तरह
जिसका कोई आकार नहीं

लेकिन तुमसे मिलकर
मन हो जाता है साफ
नदी की तरह
खिल उठते हैं फूल
हरी घाँस
फैल जाते हैं
खुशबू भंवरो के गुंजन
चारों ओर

और मैं लगने लगता हूँ
प्यारा सा उपवन की तरह— % &

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13 MAY 2022 AT 8:45

मन आहत है देखकर , अपना ही व्यवहार।
मनुज दनुज सा हो गया , करता ह्रदय विचार।।
करता ह्रदय विचार , उन्हें आखिर क्या देते।
भोजन की क्या बात , स्वांस तक जिनसे लेते।।
कह केतन महराज , कठिन है करना वर्णन।
कितना निष्ठुर आह , हो गया है मानव मन।।— % &

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2 MAY 2022 AT 8:08

समय बदला तो देखा लोक के व्यवहार बदले है
हकीकत है कि ये हालात भी कई बार बदले हैं
मगर देखूँ जो हालत राजनीति की तो लगता है
कथानक है वही हमने महज किरदार बदले हैं— % &

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1 MAY 2022 AT 22:38

ज़रूरी तो नहीं हर बात पर ही वाह निकलेगी
हमारे शेर सुनकर दिल से लेकिन आह निकलेगी— % &

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29 APR 2022 AT 11:22

एक पुलिसकर्मी की तुकबंदी

बराबर सबको करने के ये गर्मी धूप जरिया हैं
समुन्दर से मिलेंगे अंत में मजबूर दरिया हैं
गोरे हैं परेशां किस तरह से गर्मियां गुजरे
करिया सोचकर खुश हैं कि हम पहले से करिया हैं— % &

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28 APR 2022 AT 8:29

मोहन बिन राधा रटे , कृष्ण नाम अविराम।
हुई राधिका श्याममय , राधेमय घनश्याम।।— % &

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22 APR 2022 AT 12:00

दुःख में भी मुस्कुराना पड़ेगा मुझे।
खुश हूं मैं यह दिखाना पड़ेगा मुझे।
अपनी बातों से हमको न बहलाइए
जानता हूँ कि जाना पड़ेगा मुझे।— % &

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19 APR 2022 AT 3:54

आपको सुलाने हेतु , परिश्रम करती हैं ,
सारा दिन सारी रात , जागती हैं खाकियाँ।

सब को सुरक्षा मिले , खुशियों के फूल खिलें ,
इसलिए सड़कों पे , भागती हैं खाकियाँ।

सारे ही त्योहार बिन , परिवार मनते हैं ,
अपना आनन्द खुद , त्यागती हैं खाकियाँ।

त्याग दीजे द्वेष भाव , देश के विकास हेतु ,
यही सहयोग आज , मांगती हैं खाकियाँ।— % &

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29 MAR 2022 AT 10:43

जागरूक होने का प्रमाण एक दीजिए
सोचके समझके अपने मत का दान कीजिए

वोट डालने अगर श्रीमान जाओगे नहीं
अपना हक किसी से आप मांग पाओगे नहीं
हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा फैल जाएगा
एक दीप अपने लिए गर जलाओगे नहीं

प्रश्न पाँच वर्ष का है यह विचार लीजिए
सोच के समझके अपने मत का दान कीजिए— % &

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18 MAR 2022 AT 15:00

एक पुलिसकर्मी की कलम से

पास तुम्हारे आकर अपना वक्त सुनहरा करना है
रंग लगाकर तुमको प्रियतम नेह ये गहरा करना है
लेकिन एक समस्या यह है यह इतना आसान नहीं
तुमको अभी मनानी होली हमको पहरा करना है— % &

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