सारी शिकायतों का हिसाब जोड़कर रखा था मैंने… उसने गले लगाकर सारा हिसाब ही बिगाड़ दिया
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"जब हम रिश्तो के लिए वक़्त नहीं निकाल पाते तो वक़्त हमारे बीच से रिश्तो को निकाल देता है."
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कैसे भरोसा करूं
गैरों के प्यार पर,
यहाँ अपने ही मज़े लेते हैं
अपनों की हार पर !!!
@वक्त-
परीक्षा में आया मुश्किल सा सवाल हूँ मैं..
हर किसी ने बिन समझे ही छोड़ा है-
अपनी नजरों से कहो जरा तमीज़ से रहे,मेरी नज़रो से लड़कर ये मोहब्बत बढ़ा रही है ।
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तेरी तो फितरत थी,
सबसे मोहब्बत करने की,
हमने बेवजह ही,
खुद को खुशनसीब समझा-
कोई रास्ता नही दुआ के सिवा,
कोई सुनता नही खुदा के सिवा,
मैने भी ज़िंदगी को करीब से देखा है मेरे दोस्त,
मुस्किल मे कोई साथ नही देता आँसू के सिवा.-
रूठने पर भी जो ना रूठे,
वो बात हो तुम ……..
छूटने पर भी जो ना छूटे,
वो साथ हो तुम ………
यूँ तो संजोयी है,
यादें मैंने दिलों में कई,
लेकिन….
जो भूले से भी ना भुलाई जा सके,
वो याद हो तुम-
नींद से क्या शिकवा
जो आती नहीं
रात भर ,,
कसूर तो
उस चेहरे का है
जो सोने नहीं देता-