यहां हर कोई मंथन में लगा है,
कोई नीलकंठ की तरह विष पीकर रिश्ते बचा रहा है तो
कोई अमृत पीकर महान बन रहा है।-
Akhil Kumar😎 ⭐️📘
(Akhil)
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हमारे अपने ही हमारी ज़िंदगी है......
और
मेरे अपने मेरा देश......
जय हिंद जय भारत जय संविधान🇮... read more
और
मेरे अपने मेरा देश......
जय हिंद जय भारत जय संविधान🇮... read more
Joined 5 October 2019
22 JUN AT 17:04
8 JUN AT 17:34
कोई इंसान कहां तक और किस हद तक सोच सकता हैं यह उनकी
"मानसिकता और विचारों"
पर निर्भर करता है।-
30 MAY AT 14:27
कि हमने जिनके लिए दिन-रात एक करके अपना खून-पसीना एक करके साम्राज्य बनाया आज वहीं कहते हैं कि हमने उनके लिए क्या किया।
-
21 MAY AT 16:05
वे कहते चले गए कि मेरा दिल तो दरिया है
जबकि पूरा समुंदर हमने उनकी झोली में डाल दिया।-
20 MAR AT 7:43
उसने कभी हिस्सा मांगा ही नहीं,
जिसने उसे बनाने में खून पसीना एक कर दिया।-
4 DEC 2023 AT 20:18
यदि प्रवत्ति
ईर्ष्या और चीड़ की बन जाती है तो लड़ना स्वाभाविक है।
😊🇮🇳💎✍️-
18 SEP 2022 AT 20:51
मित्रता वह है जो
बिना अपेक्षा
के मित्र के हर सुख दुःख में साथ रहे।
🥰🇮🇳❣️✍️-
8 SEP 2022 AT 10:43
खुद को बेहतर बनाने में इतना डूब जाएं
कि दूसरों के लिए समय ही न बचे
🥰🇮🇳❣️✍️-
11 AUG 2022 AT 11:28
ज़िंदगी में कभी विकल्प मत बनिए।
बनना हैं तो पसंद बनिए।।
🥰🇮🇳❣️✍️-