Akhil Kumar😎 ⭐️📘   (Akhil)
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Joined 5 October 2019


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Joined 5 October 2019

यहां हर कोई मंथन में लगा है,
कोई नीलकंठ की तरह विष पीकर रिश्ते बचा रहा है तो
कोई अमृत पीकर महान बन रहा है।

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कोई इंसान कहां तक और किस हद तक सोच सकता हैं यह उनकी
"मानसिकता और विचारों"
पर निर्भर करता है।

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कि हमने जिनके लिए दिन-रात एक करके अपना खून-पसीना एक करके साम्राज्य बनाया आज वहीं कहते हैं कि हमने उनके लिए क्या किया।

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वे कहते चले गए कि मेरा दिल तो दरिया है
जबकि पूरा समुंदर हमने उनकी झोली में डाल दिया।

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उसने कभी हिस्सा मांगा ही नहीं,
जिसने उसे बनाने में खून पसीना एक कर दिया।

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बिना समर्पण के कुछ भी आसान नहीं।
❤️

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4 DEC 2023 AT 20:18

यदि प्रवत्ति
ईर्ष्या और चीड़ की बन जाती है तो लड़ना स्वाभाविक है।
😊🇮🇳💎✍️

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18 SEP 2022 AT 20:51

मित्रता वह है जो
बिना अपेक्षा
के मित्र के हर सुख दुःख में साथ रहे।
🥰🇮🇳❣️✍️

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8 SEP 2022 AT 10:43

खुद को बेहतर बनाने में इतना डूब जाएं
कि दूसरों के लिए समय ही न बचे
🥰🇮🇳❣️✍️

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11 AUG 2022 AT 11:28

ज़िंदगी में कभी विकल्प मत बनिए।
बनना हैं तो पसंद बनिए।।
🥰🇮🇳❣️✍️

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