Akhil K. Shree   (श्री कि स्याही)
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Joined 29 March 2018


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5 NOV 2022 AT 22:40

काश की मैं कैद कर पता तेरी उन मुस्कुराहटों को
जिनमे डूब कर मैं निकल जाता था अनंत की ओर..

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5 APR 2021 AT 0:54

वो हर एक लम्हा ठहर जाए,
जिसमे ज़िक्र सिर्फ़ तेरा हो।

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27 JUL 2020 AT 23:37

खिड़की एक ऐसा माध्यम है,
प्रकृति का,
जो हमे,
हमारे आवश्यकता अनुरूप तत्वों के,
समीप लाता है...
जब भी मधुर संगीत सुनना हो,
खिड़की खोल बैठ जाएं,
उसके पास चुपके से...!!

@shree

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23 MAY 2020 AT 20:54

ये जो सडकें लाल हो रही हैं..!
ये किसका दोष है..?
सड़क का?
या
उसे बनाने वाले मज़दूर का..?

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3 MAY 2020 AT 11:48

अगर मै भूल जाऊं तुम्हे
कुछ पल को,
तो वो पल मेरी ज़िंदगी का
हिस्सा नहीं माना जायेगा..!!

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21 APR 2020 AT 12:11

सुना है
अब याद आते हैं "हम" तुम्हें,
हो सकता है,
जिस्म थक गई हो "तुम्हारी"..!!

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21 APR 2020 AT 12:01

कभी-कभी ना लिखना भी अच्छा लगता है।कई ऐसी बातें होती हैं,जिन्हें आप सिर्फ अपने अंतर्मन में रखना चाहते हैं। सफेद पन्नों को शब्दों का इंतजार होता है पर, आप कलम हाथ में लिए मन ही मन सब कुछ लिख रहे होते हैं।

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19 APR 2020 AT 12:08

कई शाम हमने ख़ामोशी से साहिल पर गुजारा है.. समंदर में तैर रहे नावों के साथ हम भी यात्रा करते- करते बहुत दूर निकल जाते थे, जहां सिर्फ हम दोनों होते थे, एक सुकून एक मुस्कान और सिर्फ हम... फिर धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा लगता था पर हम तब भी तैर रहे होते थे समंदर में।
एक खूबसूरत नाव, लहरों की संगीत, चांद की मद्धम रोशनी संग में कुछ सितारे दोस्त और हम।

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18 APR 2020 AT 14:16

इश्क़ में कही उनकी
बातें,
हा हा हा हा..

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18 APR 2020 AT 12:56

पहले जाने को लेकर हम दोनों के बीच तकरार होती थी प्रेम में मैं उससे कहता था पहले जाने को और वो मुझे....तकरार के बीच में छुपे उस अथाह प्रेम में हम दोनों एक दूसरे के साथ और न जाने कितना वक्त जी लिया करते थे पर आज वक्त नहीं था शायद इसलिए वो चलती चली गई एक विश्वास और निश्चय के साथ कदमों को बढ़ाते हुए......!!

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