Akashdeep Mishra   (Akash Mushiyat)
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Joined 17 June 2020


Joined 17 June 2020
25 DEC 2022 AT 10:10

वो
सूखी धरती की प्यास है वो,
बहते पानी की मिठास है वो,
गिरते निर्मल झरनों जैसी,
पहली बारिश का भीना एहसास है वो,
किसी की अधूरी ख्वाहिश के जैसी,
किसी का देखा ख्वाब है वो,
कभी कभी चमकते तारों जैसी,
सर्द रातों का ठंडा मेहताब है वो,
वो प्रीत है, वो प्यार है, वो जीत है, वो हार है,
वो राग है, वैराग है, वो जल है, वो आग है,
वो सुबह है, वो शाम है, वो अधेरी रात तमाम है,
वो रंग है, वो प्यार है, मां लक्ष्मी का शृंगार है,
उसके चेहरे पर मुस्कान न देखना,
वो लम्हा थोड़ा उदास है,
वो कुछ थोड़ी अल्हड़ सी है,
पर मेरे लिए कुछ खास है।

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25 DEC 2022 AT 9:57

यूँ मायूस अकेला न बैठा करो,
दिल में जो हो वो बेजिझक बताया करो,
कौन कहता है हम आसमान में चाँद देखते है,
तुम कभी तो छत पर आया करो,
सातों सुरो की मीठी ध्वनि की तरह,
यूँ गीत बनकर तुम गुनगुनाया करो,
वजह भले ही ना मिले मुस्कुराने की,
तुम कभी बेवजह यूं ही मुस्कुराया करो।

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20 NOV 2022 AT 22:52

Aane wali baarish ki iss shehar ko khabar na lage,
Safar mein thheharne walo ko ghar apna ghar na lge,
Aur jud jaate hai kai toote dil zindagi ke iss safar mein,
Hai dono ka rishta ek dusre ke dil se, dono ko nazar na lage.

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6 NOV 2022 AT 19:41

Tu baithi reh yu hi saamne,
Tujhe jee bhar ke yun hi dekha karu,
Tu yakeen kare mere sachhe dil pr,
Bta tujhe main kya kaha karu,
Tu thandi behati pawan si,
Tum bin hai sb kuch aadha,
Tu ram ki pawan sita,
Tu hi meri pyari radha,
Kaha se lau wo shabd,
kaise main baya karu,
Tujhme rab dikhta hai,
yara main kya karu.

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5 OCT 2022 AT 0:40

बस कुछ देर और रुक जाना तुम

थकी एक शाम को सिरहाने बैठ,
संग मेरे कुछ गुनगुनाना तुम।
वक्त जब आएगा दूर जाने का,
बस कुछ देर और रुक जाना तुम।
अभी तो तुम्हें जरा सा देखा है,
इतनी जल्दी तुम्हें वापस क्यों जाना है।
अभी तो तुमसे बहुत बातें करनी है,
या शायद तुम्हें रोकने का ये बहाना है।
आना कभी मेरी यादों के शहर में,
हकीकतों को तो एक दिन मिट जाना है,
आने वाले इस शहर में फिसल ही जाते हैं,
क्योंकि यहाँ बारिश का ज़माना है।
जब डर लगे गुजरती शामों से,
मेरी आखों में देख मुस्कुराना तुम।
एक आखरी कोशिश कर लेना,
बस कुछ देर और रुक जाना तुम।

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23 SEP 2022 AT 1:13

कभी सातों सुरों की मीठी ध्वनि जैसी,
कभी खुली आंखों से देखा ख्वाब हो तुम,
जिन सवालों का कोई जवाब ही न हो,
उन अनसुलझे सवालों का जवाब हो तुम,
कभी गर्मी में शीतल पवन के जैसी,
कभी उड़ती तितलियों की उमंग हो तुम,
इस मचलती बहती समुद्री दुनिया में,
शांत नदियों में उठती तरंग हो तुम,
कभी दीपावली में जलती दीयों जैसी,
चांद-सूरज का बढ़ता गुमान हो तुम,
हर रात अनगिनत तारों भरा,
पूर्णिमा का खूबसूरत आसमान हो तुम,
कौन है पता नहीं, कहां है पता नहीं,
और न ही पता कि कैसी रूपरेखा है,
सादगी का एक हसीन ख्वाब है वो,
हां मैंने उसे देखा है।

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29 AUG 2022 AT 23:41

जब टूटने लगे हौसला तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख्तों-ताज नहीं होते।

ढूंढ ही लेते हैं अंधेरों में मंज़िल अपनी,
जुगनू कभी रोशनी की मोहताज नहीं होते।

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25 AUG 2022 AT 0:09

तू शरबत सी मीठी-मीठी, मधु कोमल सा बदन तेरा,
तू तितली सी थोड़ी चंचल, है रंग भरा हर चमन तेरा,

तू ओस की बूदों सी शीतल, नभ से गिरकर तू आई है,
आसमान में चाँद भी शायद, हाँ बस तेरी परछाई है।

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19 AUG 2022 AT 15:08

Ye aashirwaad mile jag ko, Mohan sabper upkaar kare,
Koi kanha jaisi preet lagaye, Koi radha jaisa pyaar kare.

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15 AUG 2022 AT 1:00

आजकल के लोग क्या जाने, इस आजादी की क्या कीमत चुकाई थी,
सर पर बाँध कफन कितनों ने, सीने पर गोली खाई थी,

आजादी के मतवालों के नाम वो सारे भूल गए?
सुखदेव,भगत सिंह,राजगुरु फांसी पर हँसकर झूल गए,

भूल गए मर्दानी जिसने धागे सारे खोल दिए,
अंग्रेजी शासनकर्ताओं को तलवारों पर तोल दिए,

भूल गए वो जलियांवाला, हजारों को जिसमें मार दिया,
बंगाल का विभाजन करके, माँ का आँचल फाड़ दिया,

भूलों मत इस कीमत को, जो सर कटा कर पाई है,
आजादी का मौसम आया, गूंज उठी शहनाई है,

सबकी छतों पे लहराया, आज तिरंगा प्यारा है,
सारे जहाँ से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा है।

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