Akash Singh   (Ak_05)
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Joined 12 August 2017


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12 OCT 2023 AT 21:52

जीने दो
नहीं
अब मरने दो

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3 FEB 2022 AT 10:46

Kabhi kabhi lagta hai ki
Papa ko lgta hai ki
Main wo sab nahi kar sakta
Jo unhone kiya hai

Magar fir samjh ata hai
Ki wo chahte hi nahi
Ki main wo krun
Wo mujhe wo struggle
Krne hi nahi dena chahte

Ab ye to behas hai
Ki wo sahi hai ya main
Magar dono apni puri koshish kr rhe hai
Main chahta hun main jitni normal zindagi ji sakta hu wo jeeyun or Wo chahte hain ki
Main wohi zindagi jeeni hi na pade
Un sab cheezo se guzarna hi na pade

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11 JAN 2022 AT 13:19

कोई नही किसी का यहा
यहां हर यार मतलबी है।

समझ ना हो जब अपनों की
तो इस बात पर धोखे मिलते है।

सब को खुश रखने का इरादा
तो हो जाता है हमारा पूरा
मगर हम खुद गुमसुम उदास रहते हैं।

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18 DEC 2021 AT 21:24

सिर्फ पैसे से खुशियां मिलती ना
तो त्योहार नही मनाते लोग।
लोग चीजों में खुशियां ढूंढने निकले
तो हमको लोगों से ही कभी खुशियां न मिली।

हमारी जिंदगी को लोग मान बैठे है बेहतरीन।
क्योंकि हमने उनकी तरह नही सांझा किया अपनी जिंदगी का सीन।

रहते मेरे जगह पर वो लोग ,
या तो मरजाते वो ,
या जीते जी मरजाते लोग।

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1 NOV 2021 AT 7:17

वक्त नहीं है तेरे पास ये जानता हूं,
मगर मैं ही हूं जो सिर्फ तेरा वक्त मांगता हूं।

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25 OCT 2021 AT 23:41

बिखर चुका हूं एक राज़ छिपाकर
बता कर भी बिखर जाऊंगा
बचपन भी गुजर चुका
जवानी भी खतम समझो
मौत आ जाए
तो जरूर संभल पाऊंगा
क्योंकि मैं मर जो जाऊंगा

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12 OCT 2021 AT 22:05

क्या तुम सब को अपना मानते हो ?
मगर हर कोई तुम्हे अपना नही मानता।

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12 OCT 2021 AT 21:56

बहुत कुछ है बताने को
मगर अब नही है कोई सताने को

सब कहते थे पहले जानलो,
ऐसे ही नही सबको अपना मान लो ,

लंबा सफर है चलना साथ में
फिर कुछ समय तो दे दो रिश्ते पहचानने में



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10 AUG 2021 AT 7:51

खुद को हवा नहीं लगने दी हमने
ताकि मेरे सपने उड़ान भर सकें।

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5 AUG 2021 AT 21:56


हां ,लेता हूं आज भी नाम तेरा
हां , रो देता हूं मैं आज थोड़ा,
लेकिन याद करके तुझे
मुझे अच्छा भी तो लगता है,
मगर कर चुका हूं ऐसा कई मर्तबा
की मेरे दोस्तों को
ये मेरा बचपना सा लगता है।

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