एक कहानी है मरघट में बैठे रात को 2 बजे शराब में धुत एक प्रेमी की.......जो सर्द रात मे चिता की अधबुझी अलाव से बदन को गर्म रखने की कोशिश में है.......और उसकी मुहब्बत मंडप में हवन की आग के समीप बैठी अपने आत्मा के कम्पन से बचने की कोशिश में है... एक संवाद है जिसने शब्दों की आवृति से परे मन में जन्म लिया..!!!
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We may not born again, Let's be together in this life.
हम-तुम साथ बैठे, जमाना हो गया यार
कहीं कांच के ग्लासों में, जंग ना लग जाए..!!!-
"जब मुझसे ताल्लुक खत्म करने का मन हो तुम्हारा तो ,
झटके से रिश्ता नही तोड़ना ।
नही बिछड़ना मुझसे ऐसे ,
जैसे विशाल हिमखंड यकायक
धराशायी गिरता है समंदर में .।
छोड़ना मुझे ऐसे कि मुझे भनक ना हो ।
मेरे आस पास अपने होने के
भरम को बनाए रखना ..।
फासला बनाना गर चाहो तो
ऐसे बनाना जैसे ,
माँ फुसलाती है सोते बच्चे को
अपनी खुश्बू की चुनर ओढ़ाकर ।
छल लेना जैसे युधिष्ठिर ने छला द्रोण को।
मुझे वज्रपात सा मत तजना जैसे ,
पेड़ भूला देता है झड़े पत्तों को ।
यकायक खुद से ऐसे मत काटना
जैसे ब्रह्मपुत्र की विराट जलराशि
धसका ले जाती है आसन्न तटों को ।
ऐसे ना जाना छोड़कर जैसे
कृष्ण गए मथुरा से बिना पलट कर देखे ।
हटाना हो तो किश्तों में धीरे धीरे हटाना जैसे ,
पर्वत झड़ाता है रजकणों को ।
मत बिछड़ना ऐसे एक झटके में जैसे
पतंग जुदा हो जाती है डोर से।
मुझे ऐसे मत त्यागना जैसे
आकाश एकदम से छोड़ देता है जल बूंदों को धराशायी होने ।
बिछोह करना जैसे जमीन त्यागती है नदी को ,
जिसे हमेशा भरम रहता है उद्गम से जुड़े रहने का ...।
मुझे अचानक मत छोड़ना..।-
प्रेम में हारा हुआ इंसान
ले जाता है अपने साथ
अतीत की यादें
आँखों में आँसू
और पीछे छोड़ देता है
वे सभी सुनहरे सपने
जो प्रेम के नाम पर उसने समेट लिए थे
तुम कभी नहीं जान सकोगे
जाते हुए उसकी आँखें नम थीं या नहीं
अब तुम्हारी ओर उसका ह्रदय नहीं
उसकी जाती हुई पीठ है...-
हर शख़्स धीरे-धीरे अंदर से ख़त्म हो रहा है... किसी ने अपनी फोटोज लेनी छोड़ दी... किसी ने अच्छे से कपड़े पहनना छोड़ दिया... कोई इश्क़ नहीं कर रहा तो कोई मोहब्बत कुबूल करने से डर रहा है... किसी को तन्हाई पसंद आ रही है तो कोई दोस्तों से नहीं मिल रहा...
अजीब वक़्त आ गया है जिंदगी का..!!!
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समाजिकता उस लेवल पर बढ़ रही है, जहां शराब से ज़्यादा उसमें मिलायी जाने वाली कोल्ड ड्रिंक के ज़्यादा चर्चे हैं।
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कॉलेज में इतवार से चिढ़ने वाला इश्क,
ऑफिस में इतवार की राहें तकता है।।-
मेरे सपने में एक नाव थी,
जिस पर सवार होकर मैं तुम्हें भगा ले जाता था….
पर हर सपने की एक ही मुश्किल थी;
किनारे लगने के पहले….
नींद टूट जाती थी नाव डूब जाती थी….!!!-
हमने किताबों से प्रेमिकाओं को पाया और फ़िल्मों से उन्हें खोया है।
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