बड़ी बिंदास बनकर घूमती है लेकिन खुद से अंजान है,
बहुत खास है वो उसे ये एहसास भी है।
खुद को बांधे हुए है कुछ रस्मों रिवाजों से,
महफिल की शान है वो सबके लिए खास भी है।
वो खुद तो जमाने के हिसाब से बदल गई लेकिन दिल तो आज भी बच्चो जैसा ही है,
वैसे तो वो घंटो बाते भी करती है मगर लोगो के सामने एक दम बदली बदली सी,ये मिजाज भला कैसा है।
उसे भी हक है खुलकर जिंदगी को खुद के हिसाब से जीने का,
बनकर धड़कता होगा वो भी दिल किसी के सीने का।।
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