Akash Saxena   (आकाश सक्सेना ।।)
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Theatre artist
Joined 19 August 2018


Theatre artist
Joined 19 August 2018
13 AUG 2022 AT 2:09

वादों का एक डोर था जो बड़ा अनमोल था हमने उस डोर को पकड़ राखा था लेकिन वो डोर उनके हाथ मैं घड़ने लगा था । वो डोर उन्होंने तोड़ दी और हमारे हाथो में अपनी लकीर छोड़ दी।।
Q

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13 AUG 2022 AT 1:43

इन आंखों में कुछ सपने कैद थे जब हम सोते थे तो वो सब निखर जाते थे जब जागते थे तो सब भीखर जाते हैं।।

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13 AUG 2021 AT 22:26

आज आईना भी यह सवाल कर बैठा तु इसके लिए अपना यह हाल कर बैठा ।।

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7 AUG 2021 AT 17:04

मैं खुश हु यह सोच के की तुम खुश हो क्या तुम खुश हो यह सोच के की मैं खुश हु ?

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6 AUG 2021 AT 13:54

जो हम खुद को संभाल लेते तो तुमको क्यों ही बोलते जो तुमको बोल दिया है खुद पे इतना गुरूर ना करो ।।

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25 DEC 2020 AT 0:09

जनवरी सी तुम दिसंबर सा मैं ,
मेरे बिल्कुल पास तुम, तुमसे बहुत दूर मैं ।

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22 SEP 2020 AT 1:38

बहुत खामियां है हममें बहुत कोशिश करता हूं सही करलू इसको पर अक्सर हार जाता हूं ।।

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8 AUG 2020 AT 17:51

कुछ नहीं से कुछ बन जाओ और उस कुछ से तुम बहुत कुछ बन जाओ गए ।।

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20 APR 2020 AT 15:18

Tum Zaroori ho mere liye
Zikar har baar Zaroori toh Nahi..
❤️

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20 MAR 2020 AT 9:59

सारा देश सुबह जगा ।
और एक मां सालो बाद सुकून की नींद सो पाई ।।

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