वादों का एक डोर था जो बड़ा अनमोल था हमने उस डोर को पकड़ राखा था लेकिन वो डोर उनके हाथ मैं घड़ने लगा था । वो डोर उन्होंने तोड़ दी और हमारे हाथो में अपनी लकीर छोड़ दी।।
Q-
Akash Saxena
(आकाश सक्सेना ।।)
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Theatre artist
Joined 19 August 2018
13 AUG 2022 AT 2:09
13 AUG 2022 AT 1:43
इन आंखों में कुछ सपने कैद थे जब हम सोते थे तो वो सब निखर जाते थे जब जागते थे तो सब भीखर जाते हैं।।
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7 AUG 2021 AT 17:04
मैं खुश हु यह सोच के की तुम खुश हो क्या तुम खुश हो यह सोच के की मैं खुश हु ?
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6 AUG 2021 AT 13:54
जो हम खुद को संभाल लेते तो तुमको क्यों ही बोलते जो तुमको बोल दिया है खुद पे इतना गुरूर ना करो ।।
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25 DEC 2020 AT 0:09
जनवरी सी तुम दिसंबर सा मैं ,
मेरे बिल्कुल पास तुम, तुमसे बहुत दूर मैं ।-
22 SEP 2020 AT 1:38
बहुत खामियां है हममें बहुत कोशिश करता हूं सही करलू इसको पर अक्सर हार जाता हूं ।।
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