AKASH MAHESHWARI   (आकाशवाणी)
145 Followers · 217 Following

Ambivert
Polymath
A cook, A dreamer, Book Lover
Joined 14 January 2018


Ambivert
Polymath
A cook, A dreamer, Book Lover
Joined 14 January 2018
7 NOV 2022 AT 21:30

प्रिय, लिखकर!

नीचे लिख दूँ नाम तुम्हारा!
कुछ जगह बीच मे छोड़

नीचे लिख दूँ सदा तुम्हारा!!

लिखा बीच मे क्या ये तुमको पढ़ना है!

कागज़ पर मन की भाषा का अर्थ समझना है!

जो भी अर्थ निकलोगी तुम वो मुझको स्वीकार
झुके नैन मौन अधर या कोरा कागज़
अर्थ सभी का प्यार है !!


-


24 OCT 2022 AT 11:02

कुछ भी तो नहीं बदला पिछली दिवाली से इस दिवाली तक
तुम तब भी नहीं थे, तुम अब भी नहीं हो

-


8 SEP 2022 AT 23:45

Never read your old chats because it hurts you a lot and makes you wonder from where actually things started changing.

-


8 JUN 2022 AT 23:24

बन संवर के निकलोगी तो कोई भी चाहेगा तुम्हें
तुम सुबह जिस लिबास में उठती हो मुझे उससे भी प्यार है

-


7 JUL 2021 AT 23:03

खुशियों से ज्यादा बनतीं नहीं मेरी
ग़मों से गहरा नाता है
खुशियाँ ढूंढती रहती है पता मेरा
ग़म सीधे घर पहुंच जाता है

-


9 MAY 2021 AT 6:55

किसी के लिए बुरे किसी के लिए ज़रूरत में अच्छे हो तुम
एक माँ ही जिसके लिए जैसे भी हो अच्छे हो तुम
सब रिश्ते आज कल वक़्त और जरूरत के हिसाब से ढल जाते हैं
इंसान तो छोड़ो वक़्त खराब हो तो तक़दीर के लिखे भी बदल जाते हैं
एक माँ ही है जिसका मिजाज़ तुम्हारे लिए कभी नहीं बदलता
मैं ढूंढने निकलूं तो शायद ख़ुदा भी मिल जाये मुझे
मगर माँ जैसा कोई दूसरा नहीं मिलता

तुमसे ज्यादा खूबसूरत कोई और उसे नज़र नहीं आता
तुम्हारा माशूक लाख कसमें खाले मोहब्बत की
मगर तुम्हारी माँ से ज्यादा तुमको कोई नहीं चाहता

सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक वो रुकती नहीं है
मैं फरमाइशें करता रहता हूं उससे पर मेरी माँ कभी थकती नहीं है

वो सिर्फ प्यार से हाथ रख दे सिर पे तो बड़ी से बड़ी बला टल जाती है
तुम चूमना उसके हाथो को और देखना की जन्नत कितनी आसानी से मिल जाती है

-


25 APR 2021 AT 0:22

मुझसे ना निभा सकीं किसी और से तो निभा रही हो
ये तो तक़दीर है अपनी अपनी
जो मेरी मोहब्बत किसी और पर लुटा रही हो

Read full poem on Insta at aarish4u

-


23 APR 2021 AT 23:06

मैं कहना भी चाहूँ किसी से कुछ
तो किसे फ़ुरसत है जो आकर सुनेगा
जिन्हें मेरे होने ना होने से फर्क़ नहीं पड़ता
उन्हें मेरे लिखने ना लिखने से क्या फर्क़ पड़ेगा

-


22 APR 2021 AT 23:28

तेरी गलियों में छुप छुप कर तुझे आज भी देखा करता हूँ
तेरे घर की दहलीज़ से मैं आज भी निकला करता हूँ
तेरी साँसों की खुशबू से मैं आज भी महका करता हूँ
तेरे दिल की तू जाने मैं आज भी तुझपे मरता हूँ

-


21 APR 2021 AT 21:33

हमारी हवा में जहर घोलकर वो बड़े कारखाने वाले
हमसे ही हमारी Oxygen की कीमत माँग रहे हैं
अब भी वक़्त है सम्भल जाओ हिन्दू मुसलमान करने वालों
पैसे और सत्ता वाले कभी नहीं मरते बीमारी या दंगों में
बीमारी और दंगों में हम लोग ही मारे जा रहे हैं

-


Fetching AKASH MAHESHWARI Quotes