Akash kumar   (Akash & Akash)
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Joined 1 January 2020


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Joined 1 January 2020
21 APR AT 0:32

कोई खलिश न रही दिल में सब इत्तेफाक है....
वो एक पहेली थी इसमें क्या नई बात है
आंखों की मस्ती में अक्सर,खोए खोए से रहते थे..
खुल गई आँख, नज़ारा अब साफ है।
रोज होती थी उल्फत भरी बातें
जल गए सारे अरमा ,अब राख ही राख है।

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4 FEB AT 13:02

रफ्ता -रफ्ता ही मगर जुड़ रहा है तुझे राब्ता....
बेखुदी है या खुदा ने जोड़ा है तुझसे वास्ता।

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7 SEP 2023 AT 23:33

बड़ी ख़ूबसूरत ये कहानियाँ हैं.....
इश्क़ में ज़ख़्म की निशानियाँ हैं।
चाहता हूं ; तुझे आज़ लिखूं जी भर के...
क्या लिखूं , दिल में अब विरानियाँ हैं।

लोग कहते हैं ये नादानियां हैं...
खिली धूप में दिखती परछाइयाँ हैं।
ख्वाहिशें ज़ार-ज़ार करते रहते हैं, आज भी हम....
"धड़कता दिल" है , मगर अंदर भरी तन्हाईयां हैं।

बड़ी ख़ूबसूरत ये कहानियाँ हैं.....
हां, इश्क़ में ज़ख़्म की निशानियाँ हैं।

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6 AUG 2023 AT 3:25

बंद कर दिया है मैंने बातों की दराज़...
अब अक्सर सुनता रहता हूं अंदर की आवाज़।
रास आने लगी है अब तो, तन्हाई के मौसम ...
बस आंखें भींगी रहती है , बिन बारिश ही हरदम।

बंद कर दिया है मैंने बातों की दराज...
अब अक्सर सुनता रहता हूं, खामोशी से अल्फ़ाज़।
रास आने लगी है अब तो, दिल को "दिल" की वो बातें..
बस ख़्वाब टूटते रहते हैं,सोने ना देती ये रातें।

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15 JUL 2023 AT 18:37

तेरे यादों की शमा , मेरे दिल में जलती है..
तेरे होने की आहट , सोने ना देती है।

ये कैसा मौसम है , ये कैसी है बारिश...
कभी चैन चुरा लेती , कभी होश उड़ाती है।

तेरे सासों की खुशबू , मेरे रूह में बसती है...
हर पल तुझे पाने को , ये आँख तरसती है।

एहसासों का बादल , रह रह के गरजता है..
तन्हाई का आलम , बन बूंद बरसता है।

ये कैसा मौसम है , ये कैसी है बारिश....
कभी ख़्वाब टूटते हैं , कभी जगती है ख्वाहिश।

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26 JUN 2023 AT 19:06

पतझड़ के मौसम में , कुछ फूल खिल गए हैं..
एहसासों की बारिश से , सींचे लग रहे हैं।
दुआओं की हल्की रोशनी, मुसलसल पड़ रही है..
कुछ और नहीं बस जीने की, वजह बन रही है।

वक्त का दरिया बहते बहते, ज़रा भी न थकता है..
उम्र का पहिया चलते चलते,कहां कभी रुकता है।
एक सांस है जिसकी अटखेली, अब लगती अबूझ पहेली..
एक धड़कन है जिसकी कंपन ,अब खेले आँख -मिचौली।

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8 JAN 2023 AT 0:49

यहां किसको तेरी ख़बर है...
ये तो जुगनूओं का शहर है।
बहती कहीं प्यासी नदियां...
कहीं समंदर बेखबर है।
ना जाने किसकी लगी नजर है...
वार खंजर का बेअसर है।

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1 JAN 2023 AT 2:26

ख़ामोश रहने का एक अपना ही मज़ा है...
ना तकल्लुफ किसी से,ना कोई रज़ा है।
लफ़्ज़ों में न जाने कौन सी ज़हर घुली है...
जुबां से कुछ न कहना ये भी एक कला है।

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27 NOV 2022 AT 16:57

कुछ लम्हें गुजरे हैं.....
कुछ यादें बाकी है.....
धुंधला धुंधला सब है...
आहट ये कैसी है......

कुछ सांसें बहकी है.........
कुछ हवाओं की साजिश है...
तन्हा तन्हा दिल है.......
हलचल ये कैसी है........

कुछ लबों से कहना है....
कुछ सुनते रहना है.......
बदले बदले रुत हैं.....
चाहत ये कैसी है........




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27 NOV 2022 AT 1:58

नैनों की बारिशों में भींगेगे हम तुम...
दिल की जुदाई को जी लेंगे हम तुम।
सांसों को भी लगता है गैरों की अमानत हैं..
सांसों की डोर भी तोड़ेंगे हम तुम।
ख़ामोश राहें हैं ख़ामोश निगाहें है....
चार क़दम संग-संग चल लेंगे हम तुम।
इश्क़ तो सज़ा है,जख्म भी मज़ा है...
हर ज़ख्म हस कर सह लेंगे हम तुम।
नैनों की बारिशों में भींगेगे हम तुम...
दिल की जुदाई को जी लेंगे हम तुम।

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