जो कहूंगी वो कर दोगे क्या
मेरी मांग में सिंदूर भर दोगे क्या
मेरे पास वक्त बहुत कम है
तुम फिर भी मुझे अपना कहोगे क्या
मेरी जिन ख्वाइशों का मेने गला रेता है
तुम उनको भी पूरा कर दोगे क्या
सुनो मेने क्या क्या कहा हैं मुझे याद नहीं है
तुम मेरी गलतियों को नजरंदाज कर दोगे क्या
अवती की जीने की ख्वाइश भी अब खत्म हो चली है आकाश
मेरी जिंदगी में थोड़े से रंग भर दोगे क्या— % &-
ज़रा सा दर्द बयां भी कर दूं
तो वो रूठ जाती है ...
जब वो चली जाती है तो
कलम भी रूठ जाती है...-
यही काम है में इसे क्यूं दोहराता हूं
दूर जब तुझसे होता हूं तेरी तस्वीर के पास चला जाताहूं
आंसू आ जाते हैं कुछ पल अकेले रोने लग जाता हूं
सिसक सिसक कर जब रात आधी हो जाती है तुझे याद करके सो जाता हूं सपनो में मत आया करो मैं घबरा जाता हूं आंखे जब खुलती हैं तो तुझे और दूर पाता हूं नजदीक आने की बस ख्वाहिश रह जाती है घूट जाता हूं सिमट जाता हूं बाहर से ठीक हूं पर अंदर से मर जाता हूं।-
यही एक काम में बार बार करता हूं
तुझे याद करता हूं तो तेरी तस्वीर से बात करता हूं-
चूड़ी , बिंदिया , कंगन , पायल ये दिखावे के श्रृंगार लगते है
सुन....
मुझे तेरे होठ के उपर के तिल के आगे ये सब बेकार लगते है-
सुन
छोड़ ना ये बालों में गांठ लगाना खुले बालों में ही सुंदर लगती हो
तुम जीन्स और शर्ट पहनकर नहीं आना मुझसे मिलने
मुझे तो सूट सलवार में ही बहुत अच्छी लगती हो-
धीमी धीमी आग में यह कौन जल रहा है
वह शख्स क्या सच में अपना था जो खुद को बदल रहा है-
होंगे तेरे किरदार एक से ज्यादा तो होने दे
मुझे तो बस मेरी वाली लौटा दे और उसी में खोने दें-
में नींद में मुस्कुरा रहा हूं क्या तुम मेरे चेहरे पर हाथ लगा रही हो
मैं तो आंखें बंद करके बैठा हुआ हूं
पर लगता है तुम मुझे ही देखे जा रही हो-