Akash Dubey   (Akash(ek_khwab))
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Joined 10 May 2017


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Joined 10 May 2017
13 APR AT 23:49

तेरी हर खता पे वो शख्स हमेशा खुद से रूठा है
आज बिखर गया वो जब उससे तेरा साथ छूटा है !

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3 NOV 2023 AT 5:31


बहुत गौर से सुना है मैंने इन रात के अंधेरों को
एक खामोशी सी रहती है इनमें दिन गुजरने के बाद।

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22 AUG 2023 AT 20:49

कुछ दिखता है आज अब आंखों में उसकी
कुछ ख्वाब जो शायद कल से भी बेहतर।

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12 AUG 2022 AT 9:43

कोई मुश्किल नही है अब फिर से किसी को चाहने में
लेकिन अब आरजू ये है कि हमे कोई उस तरह से चाहे ।।

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12 AUG 2022 AT 9:37

मैंने रात को सुना दिन से बात करते हुये
वो बात जो बिल्कुल खामोश थी शांत थी।

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12 AUG 2022 AT 9:32

तुम शुरू से ऐसे ही तो थे

मैं ही बदलने चला था बहाव तेरा
तुम तो हमेशा ऐसे ही तो बहते थे।


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11 JUL 2022 AT 8:02

उसकी ख्वाइशे सबसे अनजान रही
उसकी बत्तमीज़िया हमेशा बदनाम रही।

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30 MAY 2022 AT 18:47

यूं कुछ भी कह देना
फिर मुकर जाना।

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29 MAY 2022 AT 19:28

और फिर एक दिन उनके लिए फैसले
जाने कब धीरे धीरे फासलों में बदल गए।

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28 MAY 2022 AT 18:41

बड़ी कोशिशों के बाद मिला था उसे
अब कहीं नजर नहीं आता वो उसे।

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