मुकद्दर को क़ुबूल है नाराज़गी उसकी,
यूं ही नहीं हम तन्हा रहते।🙁
राधे राधे-
मन - ही - मन खुद से इतनी गुफ्तगू हो गयी,
कि अब गेरों की जरूरत नहीं......
“वक्त-ए-हालात” मतलवी लोग😎
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मेरी जुवां पे तेरा नाम हो।
प्यारे! बस यही इंतजाम हो ॥ 😘
जय श्री राधे-
असल में शत्रु तो मनुष्य है‚ प्रकृति🌱 का..
क्योंकि पंक्षी तो अभी भी चहक रहे हैं, आकाश में ..... # #gocorona
🦜Rãdhê Rãdhê🦜🐬-
रूह रो रही हैं,मिलने को जहां से।
ये तो सिर्फ बूदें है,सुनामी के इंतजार में।।-
दौर कुछ ऐसा है, वक्त का
आसमान और जमीन का।
दूरियाँ तो बहुत है इनमें
मगर मुलाकात भी दूर होती हैं।।
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तभी तो
ये जमाना भी पूछता है,
आखिर क्यों?.....
मिली तन्हाई ईश्क के बाजार में-
बेसक तुम्हारे बिना नींद न आए,
पर सपने में भी न आया करो।
साली आँख ही नहीं खुलती सुबह🌄-
बस सोचा अपने पर फैलाऊँ,
आसमान में मंजिल को पाऊँ ।
जो मिली कुछ पल की मुस्कान,
तो क्यों ना हर आँगन छितराऊँ।।
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