यूँ बेचैन से दिखते हो!
क्या खो गया जो खोजते रहते हो?
वो है कि हर बात पर ख़फ़ा हो जाता है!
तो हर बात लोगों से क्यूँ कहते फिरते हो?
चलो जब मज़ाक हो ही गई है जिंदगी!
तो क्यूँ नही खुल के हँसते हो?
-आकाश चौरसिया
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सामने रास्ता खड़ा इन्तज़ार कर रहा
ठहरूं या चला जाऊं ये तो बता दो ।
जो हुआ तुम्हारे-मेरे दरम्यान...
उसे याद रखूँ या भूल जाऊँ ये तो बता दो ।।-
वो ख़्वाहिशों को जला कर बैठे हैं
कितनो को नज़र से उतारकर बैठे हैं
जो तक़दीर में था ही नही कभी....
कमबख़्त उसपे ही दिल हारकर बैठे हैं।-
बड़ी अज़ीब होती हैं दिल की बातें
फिर भी बे-झिझक तुमसे कह दिया...
पहले परेशानी और बेचैनी कम थी क्या?
कि एक और सर दर्द अपने नाम कर लिया!-
ख़ैर,बैठा हूँ यहीं कहीं खुले आसमान में
मुझसे ठिकाने का पता मत पूछो
उदास चेहरा,हुआ क्या पता नही...!
मुझसे उस अज़नबी का ख़ता मत पूछो।
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कभी गुज़ारे, गुज़रती नहीं ये रात
इंसानों का हिसाब रखती है ये रात।
जो ना चाहो ...
तो बड़े तपाक से गुज़रती है ये रात।
जब दर्द साथ हो...
तो दर्द बनकर ठहरती है ये रात।
ज़रा आहिस्ते चलो 'ऐ ज़िन्दगी'...
भागादौड़ी में कहीं आखिरी न हो ये रात।
मैं,तुम यहाँ तक कि सभी का...
हिसाब रखती है ये रात
कभी गुज़ारे, गुज़रती नही ये रात।।
-आकाश चौरसिया
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पी जाऊं ये रात ज़ाम की तरह
'चखने' में उसकी याद ही सही
"सलाह देने आए हो ज़िन्दगी जीने की "
मत दो,तुम जियो ज़िन्दगी मैं बर्बाद ही सही।-
ऐ काश कि 'आकाश' होते ;
तो ख्वाबों के तारों को यूँ समेट कर रखते
कि बिखरे तो हों पर पहुँच से बाहर ना हो
जब कभी ये तारें टूट भी जाए
तो बस मुझमे ही मंडराए
जब कभी नुमाइश हो टूटते तारों की
तो उम्मीद से सर उठाए दुआ मांगे कोई
ऐ काश कि 'आकाश' होते l
- आकाश चौरसिया
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मेरा क्या...मैं तो ठीक ही रहता हूँ
तुम बिगड़े तो ये जहाँ बिगड़ा समझो
तुम बिगड़े तो ये शहर सुना समझो
तुम बिगड़े तो कुछ भी ना सही समझो।
मेरा क्या...मैं तो हूँ ही अपने लिए
तुम बिगड़े तो सभी को पता समझो
तुम बिगड़े तो कोई और गलत है समझो
तुम बिगड़े तो ना ज़मीन ना आकाश समझो।
मेरा क्या...मैं तो लड़का हूँ सम्हाल ही लूँगा
तुम बिगड़े तो फूल मुरझाया समझो
तुम बिगड़े तो रात न ढलेगी समझो
तुम बिगड़े तो सब बिगड़ा समझो।
सच बताऊँ तो मैं आईने की दुनिया में पड़ा रहता हूँ
और तुम्हारे दुख के सामने हमेशा खड़ा रहता हूँ।
रही बात मेरी तो...
मेरा क्या...मैं तो ठीक ही रहता हूँ।-
कभी तो सम्हाल लेते बिगड़ते हालात को देखकर....
ये तुम कैसे साथ रहे कि हर वक़्त मैं तन्हा ही रहा।-