क्या इतना भी कोई किसी के लिए खास हो सकता है क्या?
कोई दिलो जान से भी ज्यादा अज़ीज़ हो सकता है क्या?
एक तेरी खुशी के लिए मैने छोड़े है अपने सारे ऐब
कोई ताब-ओ-तवाँ होते हुए भी तुम्हारा ना-तवानी हो सकता है क्या?
की कोई इतना भी खास हो सकता है क्या
की तेरी भी धड़कने मुझे देख रक़्स करती है तो बताना
मेरे दिए गुलाब की खुशबू अभी भी तेरी किताबों से आती है तो बताना
मेरी यादों में तो सिर्फ तेरा ही अक्स बाकी रह गया है
क्या तुझे भी इतवार की दुआ के वक्त हिचकियां आती है तो बताना
तुझे अगर मैं भी उतना ही खास लागू तो बताना-
की मेरे सारे सवालों का पूरा जवाब हो तुम,
मेरी हर दुआ का आखरी अंजाम हो तुम,
मेरे इंतजार को हासिल वो सच कहूं तुम्हे।।
या मेरे ही सपनो का कोई मायाजाल हो तुम,
डरते डरते कुछ पूछना है तुमसे,
सच में हकीकत हो या कोई हसीन ख्वाब हो तुम???-
तेरे जुल्फों में कुछ इस तरह उलझा हूं मैं,
जैसे बनारस की गलियों में कही खो गया हूं मैं।
और तू जो सिर्फ बैठे ही जाए मेरे पास,
देख ताज की तरह सब में मशहूर हो गया हूं मैं।
और मिल कर तुझसे कुछ यूं लगा मुझे,
जैसे इलाहाबाद की नगरी हो और संगम हो गया हूं मैं।
और कुछ इस तरह शामिल है तेरा नाम मुझमें,
जैसे कोई शायरी हो और कोई उम्दा शेर हो गया हूं मैं।।— % &-
ये मेरा नज़्म नहीं मेरा दिल-ऐ-हाल समझो तुम,
कुछ बेखयाली कुछ दीवानगी समझो तुम।
की बेपनाह मोहब्बत का यही अंजाम देखा है।
या तो अब पागल या तो अब शायर समझो तुम।।
और बड़े महंगे बिके है,
तुझ पर लिखे अल्फाज़ सारे।
मोहब्बत के इस बाज़ार में,
हमे भी इश्क का कारोबारी समझो तुम।।— % &-
At the end it's a little bit of love we all need
At the end it's love we all have to conquer
At the end it's love that defeat us all— % &-
‘ईद और इश्क़’
ईद का चांद हुए फिरते हो।
लगता है कोई दर्द छुपाए फिरते हो।
हस्ते हो तो एहसान लगता है।
इस जिंदगी का कौन सा बोझ लिए फिरते हो।
कि आज ताज को देख कर लगा।
ये इश्क पर हक सिर्फ अमीरों का होगा।
जान तक तो ठीक है, दे देंगे उसे,
पर ये चांद मांग लिया तो ईद का क्या होगा।
और एक लंबे अरसे से,
किसी जशन में शरीक नहीं हुए हम।
की सोचा एक बार देख लू उसे,
फिर सबसे ईद मुबारक होगा।। — % &-
तेरे बिना उतना ही अधूरा हूं मैं,
जैसे ज़मीन के बिना ये आसमान अधूरा है।
जैसे राधे के बिना श्याम अधूरे है।
जैसे सीता के बिना राम अधूरे है।।— % &-
तुम हो कोई अप्सरा का रूप,
या माया का कोई स्वरूप हो तुम?
ये शायद बस मेरी मोहब्बत का ही कमाल है।
या सच में इतनी हसीन हो तुम?— % &-
आज महीनो बाद सुकून, मुझसे मिलने आई है।
वो ना सही, पर उसकी ख़बर आई है।
और ज़माने भर की बंदिशें थी,
कुछ समय का तकाजा था।
वो ना आ सकी मिलने पर अपनी ख़बर भेजवाई है।
आज महीनों बाद सुकून मुझसे मिलने,
मेरे घर आई है।।— % &-
लगता है उनके कदमों ने रुख किया है हमारे शहर का
ये मौसम में गर्माहट कुछ बढ़ सी गई है।।— % &-