पुरानी दीवार पर नया कैलेण्डर आ गया,
पैसे कमा के बेटा था घर आ गया।
@akashthebatman-
CBIC, Govt. of India 🇮🇳
एक कच्चा घड़ा ❤️
Instagram: @akashthebatm... read more
अब की महफिलें लिखूँ
या तब की तन्हाईयाँ लिखूँ
लिखूँ कि हाँ एक डर तो था
या लिखूँ कि था खुद पे यकीन
अपनी हारी हुई हर एक बाजी लिखूँ
या फिर जीत जाने की कहानी लिखूँ
आज ने गुजरे वक्त से अब कहा
चलो वही पुराने ख्वाबों की फिर
अपनी नई जिंदगानी लिखूँ
- Akash Anand
(Excise/CGST Inspector)-
बगैर शर्तों और मायनों के
बिल्कुल ही आजाद
तू तुझ सी
मुझसा मैं
बेहद आश्वत
ना रुकने की जिद्द
ना जाने का डर
साथ साथ
महीन हसरतें
बड़ी ख्वाइशें
बेहिसाब कोशिशें-
हाँ पूरे हो गए है कुछ,
कुछ ख़्वाब और देख लिए जाये ?
पर अधूरे भी तो रह गए कुछ..
उन ख्वाहिशों को फिर..
क्यूँ ना नई कोशिशों के हौसले दे दिए जाये
@akashthebatman-
ख़्वाब मिलने का कभी इसलिए पुरा ना हुआ
जितना मैं था वो कभी उतना अकेला ना हुआ
- वसीम साहब-
तुम हार गए फिर?
फिर कोशिश करो ।
पर मैं वादा नहीं करता कि इस बार जीत ही जाओगे ।
फिर रास्तें नहीं होंगे,
फिर आंधियाँ तुम्हारे सपनों को उखाड़ फेंकने की साजिश करेंगी,
फिर जमीन आग सी जलेगी,
और तुम्हारा चलना नामुमकिन सा लगेगा,
पर दोस्त, फिर भी चलना पड़ेगा ।
ये जो लोग तुमपे यकीन नहीं करते है,
तुमको बस एक मज़ाक समझते है,
मैं तुमसे वादा करता हूँ
तुम चलते रहो, तुम लड़ते रहो
एक दिन जरूर आएगा जब,
बड़ी सी भीड़ होगी इन लोगों की,
और मंच तुम्हारा होगा ।-
वो अब उस ऊँचे मकां में रहती है,
जाने कैसे उसमे कुछ गांव सा रह गया ।
उसमे कुछ तो मुहब्बत सी ठहरती है,
इसलिए उसमे कुछ इंसान सा रह गया ।-
माना धूप में तप-तप कर बुंदे बादल बनी,
पर ज़रा सी ऊंचाई मिलते ही ये गड़गड़ाहटें?
जैसे आपकी बारिशों से ही समंदर जिंदा है!-
मेरे इंतज़ार को तलब थी जिसकी,
बस वहीं मुलाकात तो थे तुम ।
गिनती के चार ही बरस तो साथ थे तुम ।-