Akash Anand   (● आकाश आनन्द ● -)
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Joined 26 March 2019


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1 JAN AT 13:13

पुरानी दीवार पर नया कैलेण्डर आ गया,

पैसे कमा के बेटा था घर आ गया।


@akashthebatman

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1 OCT 2023 AT 18:54

अब की महफिलें लिखूँ
या तब की तन्हाईयाँ लिखूँ
लिखूँ कि हाँ एक डर तो था
या लिखूँ कि था खुद पे यकीन

अपनी हारी हुई हर एक बाजी लिखूँ
या फिर जीत जाने की कहानी लिखूँ
आज ने गुजरे वक्त से अब कहा
चलो वही पुराने ख्वाबों की फिर
अपनी नई जिंदगानी लिखूँ

- Akash Anand
(Excise/CGST Inspector)

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3 SEP 2023 AT 10:35

बगैर शर्तों और मायनों के
बिल्कुल ही आजाद
तू तुझ सी
मुझसा मैं
बेहद आश्वत
ना रुकने की जिद्द
ना जाने का डर
साथ साथ
महीन हसरतें
बड़ी ख्वाइशें
बेहिसाब कोशिशें

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23 AUG 2023 AT 14:36

हाँ पूरे हो गए है कुछ,
कुछ ख़्वाब और देख लिए जाये ?


पर अधूरे भी तो रह गए कुछ..
उन ख्वाहिशों को फिर..
क्यूँ ना नई कोशिशों के हौसले दे दिए जाये


@akashthebatman

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23 AUG 2023 AT 14:07

ख़्वाब मिलने का कभी इसलिए पुरा ना हुआ

जितना मैं था वो कभी उतना अकेला ना हुआ


- वसीम साहब

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11 AUG 2023 AT 12:12

तुम हार गए फिर?
फिर कोशिश करो ।
पर मैं वादा नहीं करता कि इस बार जीत ही जाओगे ।
फिर रास्तें नहीं होंगे,
फिर आंधियाँ तुम्हारे सपनों को उखाड़ फेंकने की साजिश करेंगी,
फिर जमीन आग सी जलेगी,
और तुम्हारा चलना नामुमकिन सा लगेगा,
पर दोस्त, फिर भी चलना पड़ेगा ।
ये जो लोग तुमपे यकीन नहीं करते है,
तुमको बस एक मज़ाक समझते है,
मैं तुमसे वादा करता हूँ
तुम चलते रहो, तुम लड़ते रहो
एक दिन जरूर आएगा जब,
बड़ी सी भीड़ होगी इन लोगों की,
और मंच तुम्हारा होगा ।

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8 JUN 2023 AT 8:25

वो अब उस ऊँचे मकां में रहती है,
जाने कैसे उसमे कुछ गांव सा रह गया ।

उसमे कुछ तो मुहब्बत सी ठहरती है,
इसलिए उसमे कुछ इंसान सा रह गया ।

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16 DEC 2022 AT 23:59

नहीं आसान तुझसा होना,

आसान नहीं मुझसा होना ।

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3 DEC 2022 AT 13:44

माना धूप में तप-तप कर बुंदे बादल बनी,
पर ज़रा सी ऊंचाई मिलते ही ये गड़गड़ाहटें?

जैसे आपकी बारिशों से ही समंदर जिंदा है!

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10 SEP 2022 AT 0:31

मेरे इंतज़ार को तलब थी जिसकी,
बस वहीं मुलाकात तो थे तुम ।

गिनती के चार ही बरस तो साथ थे तुम ।

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