Akansha sharma   (Aksroohi_writeups)
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Joined 4 April 2017


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Joined 4 April 2017
19 JUN 2017 AT 12:30

खिड़की
यूँ तो मैंने सोचा लिया था,के यह खिड़की,अब नही खुलेगी। पर न जाने कब बारिश का मौसम आ गया। घर में करीबन 2 महीने बन्द रहने के बाद मैंने कुछ देखा था बाहर की तरफ,मुझे याद आया,के हाँ, मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी। लेकिन,अब बारिश,हवा,धूप,रूप कुछ नही भा रहा था,मुझे याद आया,या यह कह लू के मैं भूल ही नही पाया था तुम्हारी आवाज़,जो तुम आकर लगाया करती थी मेरी खिड़की के पास,मुझे हमेशा वहां बैठना पसंद हुआ करता था,लेकिन आज,आज मैं उसे देखकर भी खौफ कहा रहा था,अजीब हैना। 2 महीने ने काफी कुछ बदल दिया,तुम्हे,मुझे,वक़्त,हालात,व्यवहार,सब। मैं इंतेज़ार करना तो छोड़ चुका हूं तुम्हारा,पर याद नही छोड़ सका,पर हाँ इस बारिश ने इस मामले में हिम्मत दी मुझे,के में हवा को महसूस कर सकू,मैंने खिड़की खोली,कपट हाथो से,मिट्टी की परतों को हटाते हुए,खिड़की के खटका खुलते ही धड़कनो को हल्का सा झटका लगा,और शीतल सी हवा ने आकर मेरे चेहरे को ऐसे गले से लगाया के मैं लम्हे में खोया,पहली बार मैं मुस्कुराया इन दो महीनों में,पर इस बार,हवा के कारण,तुम्हारे नही। अब यह खिड़की खुली रहेगी,तुम्हारे इंतेज़ार में नही,सिर्फ हवा के लिए।

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6 DEC 2021 AT 0:01

बर्बाद होता है वो जो इश्क़ करता है
ख़ैर, इश्क़ की हद तक भी मोहब्बत कौन ही करता है

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5 DEC 2021 AT 23:48

कुछ घट जाता है बढ़ते हुए
कुछ बढ़ जाता है पास आते हुए
तुम दूर हुए हो या नहीं, ये नहीं मालूम
कुछ टूट जाता है ये सवाल दोहराते हुए

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5 DEC 2021 AT 23:44

तुम्हारी
चमक
आज
भी
बर्फ
है
तुम्हारी
यादें
आज
भी
अलाव
हैं

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16 NOV 2021 AT 20:14

9 SEP 2021 AT 23:13

कागज़ के थे सपने
इन सपनों को
एक न एक दिन तो
जल जाना था
तुम और मैं
एक ही थे
हमें कहीं
मिल ही जाना था
वक्त और प्रेम
बीतता गया
इसे तो
बदल ही जाना था
मिले हम बिछड़े हम
ये दर्द तो
हिस्से आना था
हमें
इसी तरह
जिये जाना था

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8 AUG 2021 AT 22:33

आज भी है उसकी याद बाकी
इसलिए दिल में हैं एहसास बाकी

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8 AUG 2021 AT 22:30

एक उससे बात करने की आदत
ऊपर से ज़बान की थकावट
वजहें बहुत हैं
वो पहले

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1 AUG 2021 AT 1:51

रात के डेढ़ बजे के बाद एक ख़्याल आया
चेहरा उसका सामने खुशहाल आया
मैंने देखा कि आज का दिन अलग है
रात आधी थी फिर भी अजब सा सवाल आया
वो दोस्त जो था पुराने समय का
क्या उसको भी कभी यह सवाल आया
क्या होगा मेरा हाल
यह ख्याल आया
शायद नहीं, यही सही होगा
भूल जाना ठीक, अब यही होगा
और यह सोच कर बस हटी थी नज़र
तो दिल को सांस न आई
पलकों पर आँसू आ गए
समझ आ गया कि धंसी हुई धांस अब भी धंसी है
इसलिए तो चैन अब तलक ना आया
शायद इसलिए रात डेढ़ बजे के बाद
ये ख्याल आया

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24 JUL 2021 AT 0:35

We said truth, and that made us lie more.

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