Akanksha singh   (इच्छा_से_आकांक्षा)
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Joined 3 April 2018


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8 JAN 2023 AT 19:31

न गिले न शिकवे , न उम्मीद है अब
एक जिंदा मुसाफिर सा चला जाता हूं।
प्यार , खुशबुएं सब नाम बराबर
मैं सच्चाई से लबरेज इनपे कफन चढ़ाता हूं।

किसी का छूना , किसी को चाहना
अब राज नहीं आता
एक वक्त में सब कुछ लुटा आता हु
ये मौसम ये सर्द रात
अब किसी के अघोष में होने की मांग नहीं करती
मैं खुद अकेला इठलाता हूं ,बलखाता हूं।

निभाई मैने भी रिश्तों की डोर सही
लुटाई मोहब्बत ए इश्क से लबरेज यूंही
क्या मिला सोचता हु
क्या दिया सोचता हु।

न गिले न शिकवे , न जगनुओ की रात
मैं एक जिंदा मुसाफिर सा चला जा रहा हु।

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22 JUL 2022 AT 9:47

वक्त बदल जाया करते है
रिश्ते जर जर हो जाया करते है ।

दिलो से जुड़ी दोस्ती
कही और उफान मारा करती है

और हम यूं ही बैठ के
शिद्दत से रिश्ते निभाया करते है ।

वो महफिल की खिलखिलाहट
घर बदल जाया करती है
जो हमारे साथ मुस्कुराते थे
आज वो दूसरो की खुशी बढ़ाया करते है ।

ये बारिश की बूंदे मुझे याद दिलाती है
की रिश्ते है
बस यू ही बरस के थम जाया करते है ।

-


21 JUL 2022 AT 22:08

तुमने क्यों यू छोड़ दिया
मुझे जिंदा लाश की तरह ।

मेरे गिरते हर एक आंसू को तुम
कबसे यू नजरंदाज करने लगे ।
तुम तो अपने थे तो क्यों
हमारे रिश्ते में धुंध बढ़ा बैठे ।

मैने एक एक पल महसूस किया
जब तुमको
तो दूरियां तुमको कब से भाने लगी
एक दौर था हम साथ मुस्कुराया करते थे
किस तरह तुम्हारी मुस्कुराहट
अकेले गुनगुनाने लगी ।
तुम तो अपने थे
जानते थे
मैं घबरा जाया करती हूं
एक वक्त था जब तुम गले से लगाकर
अपना लिया करते थे
मेरे दुखो पर मरहम लगा दिया करते थे

अब मै कहा हू
और तुम कहा
ये बात भी तुम भुला बैठे
हां तुम तो अपने थे
ये इश्क ए फिज़ा को तुम
कैसे भुला बैठे।

-


13 JUL 2022 AT 12:12

जिंदगी के हर मोड़ पर
किसी की जान बनकर
मिटा दिए जाते है
हा हम हमेशा फरेब खाते है ।

रिश्ते इतने सस्ते हो चले
की किस्तों में टूट जाया करते है
इस फरेबी दुनिया के रंग
रंगीन हो जाया करते है ।

दिल साफ हो
तो दुनिया लूट लेती है ।
कभी खुशी तुम्हारी
तो कभी खुद तुम्हे ।

फरेब क्या है ये उस फरेबी से पूछो
दिखावटी चादर ओढ़े
तुम्हारे करीब आके
और तुम्हे जिंदा लाश की तरह छोड़कर
धीरे से तुम्हारे कानो में कहेगा

मैं हूं फरेब
जिसे तुम प्यार समझ बैठे
मैं हूं फरेब
जिसे तुम हमेशा खाने को तैयार बैठे।

-


12 JUL 2022 AT 23:42

उस रात वो सांस रोककर
बिस्तर पर जिंदा लाश सी पड़ी रही ।

इस डर में

की उसके आंसू की बंधती सिसकियां
कहीं उसकी मां न सुन ले ।
उसकी लाल सुर्ख आंखो से वो
किसी से नजरे नहीं साझा कर पाई थी
ताकि कहीं उसके पिता उस का चेहरा न पढ़ ले

नन्ही सी बच्ची जो रोकर घर सिर पर उठा लिया करती थी ।
आज मुंह में कपड़ा भरके अंदर ही अंदर चीखकर रो रही है
की कही उसके दुख उसके आरिज से लुढ़कते हुए उसके पिता के हाथो में न गिरे ।

वो बेबस सी
बस ये पूछ रही है उस शक्ति से
क्या इश्क का अंजाम यही होता है ?
क्या किसी को चाहना अकेले रूह को खो देना होता है ?
निभाया मैंने जब इसे
ईश्वर मानकर
तो ईश्वर मेरे सुखों का रास्ता खोकर
क्यों चल देता है ?

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20 JUN 2022 AT 11:06

हम रोते है ... टूटते है
अपना दर्द महसूस करते है
लेकिन
दूसरो की नहीं
खुद अपनी बांहों में ।
क्योंकि शायद
कांधे किसी और के
एक वक्त बाद बेसहारा कर देते है ।

रात की ओस में जब हमारे आंसू बूंद बनते है
तब हमारे कांधे ही
उन आंसू का सहारा बनते है ।
मैने महसूस किया है
की शायद खुद को संभाल लूंगी
पर ये शायद पर
न मैने कभी जोर दिया
न विश्वास किया।
टूटना एक अजब पहलू है
खिलखिला कर दिन में खुश हो जाया करती हूं
और रात होते ही
फिर से बिखर जाया करती हूं।
रंग कहा है सब
शायद अरसा बीता
मुझे दिल से मुस्कुरा कर खुद का बिम्ब देखे।
हां ये शायद
शायद ही है ताबूत के नीचे दफन मेरी
मुस्कुराहटों की तरह ।

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8 MAY 2022 AT 8:46

कभी ढूंडा है वो #आंचल
जिसके नीचे हज़ारों #खुशियां बस्ती हो ।।
ऊपर से #दुख लिए जिसके अंदर
अपने हिस्से का हर सुख बांट देने की #शक्ति हो
तुम्हारे #आंसू समेटते समेटते
जो अपने आंसू #भूल जाएं
तुम्हारी #मुस्कुराहटों का खयाल रखने के लिए
वो फूली फूली #रोटी बनाएं ।।
खुद खाएं या ना खाएं ,पर तुम्हारे एक बार
#भूख लगी ह कहने पर
वो अपनी #थाली खाली कर आए।।

लाख सपने हो उसके
ख्वाहिश में हो उसका संसार
पर हमारे नखरे पूरे करते करते
उसकी #ख्वाहिशें मर जाएं ।।
छोटी सी चोट पर जो दौड़ी चली आए
हमारे माथे की लकीरों की शिकन से
वो कितना घबराए ।

मां शब्द सुना ह
नौ महीने दर्द सहकर
तुम्हारे बड़े होने पर
उसके #घर से #वृद्धाश्रम तक के सफर तक
वो तुम्हे खुशी खुशी अपनी सारी दुआएं दे जाए
मां का ही वो आंचल ह ऐसा
जिसके नीचे लाखो खुशियां बस जाएं ।

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27 FEB 2022 AT 1:40

हम #अकेले🤞 आए थे
और अकेले #👈 ही जाना है

ना कोई #साथी🤝 है
ना कोई #ठिकाना🙅 है

#कब्र🪦 भी मालूम नहीं पड़ती खुद की

आज हम #दफन ⚰️है
तो कल #मिट्टी का #आशियाना🚪 है ।

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13 FEB 2022 AT 23:28

उफ्फ ये रात भी कितना अकेला कर जाती है।

दिन में मुस्कुराती हूं
और रात को आंखे नम हो जाती है ।
बीते सब किस्से याद आते है।
लोगो के बदलते चेहरे याद आते है।
मैंने अपना दिल नुमाइश के लिए पेश किया था।

बस ये सितम मुझे अन्दर ही अन्दर खाते है
उफ्फ ये राते बहुत कठिन है।
पर उतनी ही हसीन भी ।

क्योंकि इसमें मै हूं
मेरी यादें है
और मेरे बेहते आंसू ।

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11 FEB 2022 AT 10:39

एक वादा खुद से खुद का मेरा
की कभी खुद को रोने नहीं दूंगी

लोग लाख दिल दुखाएं
पर उन्हे दिल से खेलने नहीं दूंगी

मेरी मंजिल को
अपना आशियाना समझ के
बस साथ अपने खुद को रहने दूंगी ।

एक वादा मेरा खुद से ह की
खुद को खुश रहने दूंगी ।

मैंने बरस बीता दिए
दूसरो की फिक्र में जनाब
अब इस बार
खुद की फिक्र को
अपने माथे कि शिकन बन ने दूंगी।

एक वादा खुद से
की में दूसरो के ऊपर मरने से पहले
खुद के लिए खड़ी होंगी ।

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